नेतागीरी या गुंडागर्दी? बिहार में सबको मारते—पीटते क्यों फिर रहे कन्हैया?
पटना : यह नेतागीरी है या गुंडागर्दी। आप खुद ही तय कर लें, वह भी हाल की कुछ घटनाओं से। हम बात कर रहे हैं, वामपंथी छात्रनेता कन्हैया कुमार की जो एमपी, एमएलए बनने के उतावलेपन में बिहार में सबको मारते—पीटते फिर रहे हैं। अभी तीन दिन पूर्व रविवार को उन्होंने पटना एम्स में डाक्टरों द्वारा आईसीयू में मिलने जाने का नियम बताने पर उनसे मारपीट की थी। नतीजतन डाक्टर हड़ताल पर चले गए थे, जिससे डेंगू ग्रस्त पटना के मरीजों में हाहाकार मच गया। यहां से निकले कन्हैया बेगूसराय पहुंच गए और वहां उन्होंने एक दुर्गापूजा समिति के लोगों पर हमला कर दिया। पूजा पंडाल में तोड़फोड़ की और कई लोगों का सिर फोड़ दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कन्हैया और उनके समर्थक अपने साथ गाड़ी में लाठी—डंडे लेकर चलते हैं। जाम के प्रश्न पर जब उन्हें पूजा समिति के लोगों ने गाड़ियों को वहां नहीं रोकने को कहा तो वे भड़क गए और अपने वाहनों से लाठी—डंडे निकालकर उन पर टूट पड़े। अब इसे जेएनयू जैसे संस्था से पढ़े, उसका अध्यक्ष रहे कन्हैया की नेतागीरी कहेंगे या गुंडागर्दी? उनका आचरण हाल में दिल्ली से बिहार आने के बाद अचानक इतना उग्र और अनियंत्रित क्यों हो गया? क्या नेतागीरी में कामयाबी के लिए ऐसे आचरण का कोई नया पाठ पढ़कर वे इस बार बिहार आए हैं।
चुनावी महत्वाकांक्षा ने नए हथकंडे अपनाने को किया मजबूर
दरअसल, सार मामला कन्हैया की चुनावी महत्वाकांक्षा से जुड़़ा है। अब बिहार में मीडिया की सुर्खियां बटोेरने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही होगा। कन्हैया बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। निर्विवाद रूप से तो उन्हें बिहार में पहचान का भी संकट है। मोटे तौर पर उन्हें लोग यहां जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी कराने और देशद्रोहियों के पक्ष में कैंपेन चलाने वाले के रूप में ही जानते हैं। वामपंथ जिसकी कलाई उन्होंने थाम रखी है, वह केरल छोड़ समूचे देश में हाशिए पर चला गया है। कभी बिहार का बेगूसराय भी लाल झंडे का गढ़ रहा है। ऐसे में उसके पुराने नेताओं को तो बिहार की नई पीढ़ी थोड़ा—बहुत नाम से भी जानती—समझती है। लेकिन कन्हैया को तो काम के आधार पर कोई नहीं जानता। ऐसे में कन्हैया ने ‘बद नहीं, बदनाम ही सही’ वाली रणनीति अपना ली। पॉजिटिव नहीं तो निगेटिव ही कुछ ऐसा करो कि लोग जानने लगें, मीडिया की सुर्खियां मिले।
अपने नए अवतार के साथ हाल में दिल्ली से पटना पहुंचे कन्हैया ने यहां आते ही पटना एम्स के डाक्टरों पर नेतागीरी झाड़ दी। डाक्टरों ने इसका विरोध हड़ताल कर किया और डेंगू महामारी से ग्रस्त पटना के मरीज त्राहि—त्राहि कर उठे कि अब किससे ईलाज कराएं। खैर यहां अपने कृत्य से खुद पर एफआईआर करवाने के बाद कन्हैया कुमार बेगूसराय पहुंच गए। यहां के भगवानपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के समीप दुर्गा पूजा समिति के सदस्यों से उन्हों ने जमकर मारपीट कर दी। मारपीट में पूजा समिति के दो कार्यकर्ताओं के सिर फट गए। उग्र लोगों ने कन्हैया के काफिले में शामिल आधा दर्जन वाहनों के शीशे तोड़ दिए। दोनों ओर से अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
वाहनों में लाठी—डंडे साथ लेकर चलते हैं कन्हैया और समर्थक
बताया जाता है कि कन्हैया की मंसूरचक में सभा थी। वे वाहनों के काफिले के साथ सभा कर अपने गांव बीहट लौट रहे थे। रास्ते में भगवानपुर बाजार स्थित बाइक शोरूम के प्रथम तल पर संचालित एक निजी कोचिंग संस्थान के संचालक से मिलने के लिए कन्हैया रुक गए। उनके काफिले की सारी गाडिय़ां सड़क पर रुक गईं। इससे जाम लग गया। इसपर बगल में सजे दुर्गा पूजा पंडाल समिति के कार्यकर्ताओं ने गाडिय़ों को साइड करने को कहा। इसी पर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। कन्हैया के समर्थकों ने गाड़ी में मौजूद लाठी-डंडों से पूजा समिति के कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। पूजा समिति के सदस्य दहिया निवासी सानू कुमार भारद्वाज एवं एक अन्य कार्यकर्ता के सिर फट गए। आधा दर्जन अन्य कार्यकर्ताओं को भी चोटें आईं। यह देख लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने आधा दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए।
कन्हैया व उनके समर्थक बवाल बढ़ते देख वहां से निकल बरौनी थाने जा पहुंचे। भगवानपुर थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि घायल पूजा समिति के कार्यकर्ताओं का उपचार कराया जा रहा है। घायलों के आवेदन पर कन्हैया और उनके समर्थकों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। दूसरी ओर, बरौनी थाना अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने बताया कि कन्हैया ने भी जानलेवा हमले की शिकायत दर्ज कराई है।