नेता हों या छात्र, योग और टाइम मैनेजमेंट से बाजी आपके हाथ
पटना : आज की भागमभाग जिंदगी में हर कोई दवाब में है। चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या फिर नौकरी, व्यवसाय या छात्र जीवन। सभी क्षेत्रों में अवसर काफी कम होते जा रहे हैं और प्रतियोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में आपको अपने क्षेत्र में सफलता और निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए लगातार प्रयास करने होते हैं। यही कारण है कि आप अत्यधिक दबाव में भी आ जाते हैं। यह स्थिति कभी—कभी आपके स्वास्थ्य और मनोबल पर प्रतिकूल असर भी डालती है। आइए जानते हैं कि कैसे हम इस परेशानी को कैसे विरासत में मिली पूर्वजों की सीख से दूर कर सकते हैं।
काम के दबाव में भी ऊर्जा से भर देंगे ये आसान उपाय
कार्यक्षेत्र में कार्य की अधिकता या लंबे समय तक कार्य करते रहने के कारण कभी-कभी अरुचि की स्थिति पैदा हो जाती है। लगातार कार्य करते रहने से कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। ऐसे में योग और समय प्रबंधन के उचित आसनों और टिप्स को अपनाकर हम इन समस्याओं का आसान हल पा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहली शर्त है कि हम अपने जीवन में कुछ आध्यात्मिक नियमों और नियमितताओं का पालन करें। नियम से सुबह—सुबह योग और आसन—प्राणायाम के बाद अपने दिनभर के कार्यक्रमों की एक व्यवस्थित सूची तैयार करें और उन्हें कार्यान्वित करने के क्रम को निश्चित कर लें। कुछ दिन ऐसा करने के बाद आप देखेंगे कि सारे काम आसान हो गए और आपपर दबाव भी काफी कम हो गया।
वास्तु की इन छोटी—छोटी बातों से भी मिलेगी मदद
इसके अलावा वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण और उत्साह से लबरेज रख सकते हैं। इन उपायों को अपनाएं और नई ऊर्जा के साथ अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करें। इसके लिए सर्वप्रथम घर या कार्यस्थल की स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखें। प्रतिदिन घर या प्रतिष्ठान में धूप, अगरबत्ती का उपयोग करें। भविष्य को लेकर योजनाएं सुबह के समय बनाएं। घर या प्रतिष्ठान के मुख्यद्वार पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं, ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है। पूजा-पाठ करते समय कर्पूर को जलाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। पुरानी वस्तुओं को अपने पास से हटा दें। कम्यूटर को उत्तर दिशा की ओर रखें। जहां आप कार्य करते हैं वहां हरे-भरे पौधों के गमले रख सकते हैं। अपने पास में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति रखें। अगर आसपास कोई बंद घड़ी या कोई खराब उपकरण हो तो उसे भी हटा दें। ध्यान को अपनी जीवनशैली में शामिल करें। दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। एक साथ दौड़ते हुए सात सफ़ेद घोड़ों की तस्वीर लगाना लाभकारी माना जाता है। शयनकक्ष को कभी भी पूरी तरह से बंद नहीं करें। न ही शयनकक्ष में झूठे बर्तन रखें। जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए प्रतिदिन पक्षियों को दाना पानी खिलाएं।
कर्म से ऊपर कोई नहीं, लेकिन आध्यात्मिक नियंत्रण जरूरी
आइए अब हम गौर करते हैं कि सफलता क्या है? इसका सीधा-सा जवाब है अपने लक्ष्य को प्राप्त करना। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को दिशा देने के लिए कई लक्ष्यों का चुनाव करता है, जिसे प्राप्त कर लेने को सफलता माना जाता है। लेकिन यहां लक्ष्य प्राप्ति के लिए कुछ सावधानियां भी अपेक्षित हैं। गीता के श्लोक में भगवान कृष्ण ने मानव शरीर को मात्र एक कपड़े का टुकड़ा कहा है। ऐसा कपड़ा जिसे आत्मा हर जन्म में बदलती है। अर्थात मानव शरीर, आत्मा का अस्थायी वस्त्र है, जिसे हर जन्म में बदला जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि हमें शरीर से नहीं उसकी आत्मा से व्यक्ति की पहचान करनी चाहिए। स्पष्ट है कि अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते समय हमें कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। तभी आप अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।इंसान को कभी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। उसका जीवन उसके कर्मों के आधार पर ही फल देगा, इसलिए कर्म करने में कभी हिचकना नहीं चाहिए, जीवन में स्थायित्व और निष्क्रियता शिथिलता प्रदान करती है।
क्रोध को साथ लेकर लक्ष्य प्राप्ति की कल्पना असंभव
हम क्रोध को एक सामान्य भावना मानते हैं लेकिन यह सामान्य भावना व्यक्ति के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा करती है। इसके फलस्वरूप हमारा मस्तिष्क सही और गलत के बीच अंतर करना छोड़ देता है, इसलिए इंसान को क्रोध के हालातों से बचकर हमेशा शांत रहना चाहिए। आपने कई बार सुना होगा कि किसी भी प्रकार की अधिकता इंसान के लिए घातक सिद्ध होती है। संबंधों में कड़वाहट हो या फिर मधुरता, खुशी हो या गम, हमें कभी भी ‘अति’ नहीं करनी चाहिए। जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।