पटना/नयी दिल्ली : अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही पाकिस्तानी हुक्मरानों और वहां की सेना ने जिस प्रकार इसे अतिवादी निर्णय कहा, इसे देखते हुए भारत के कान खड़े हो गये हैं। इस संबंध में इंटेलिजेंस ब्यूरो को कहा गया है कि भारत-नेपाल सीमा के 1889 किमी पोरस बार्डर पर चैकसी बढ़ाते हुए सभी संदिग्ध व्यक्तियों की पड़ताल सख्ती से हो।
सभी धार्मिक स्थलों की निगरानी का निर्देश
आईबी को आशंका है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कुछ आतंकियों को उस सीमा क्षेत्र से भेज सकती है। एजेंसी ने यह भी कहा है कि साम्प्रादायिक सदभाव बिगाड़ने के लिए वे किसी भी धार्मिक स्थल पर हमला तो करवा ही सकती है, कोई भी अप्रिय घटना को अंजाम दिलवा सकती है।
एजेंसी ने समुद्री रास्तों पर भी पैनी नजर रखते हुए सभी संवेदनशील बिन्दुओं पर नजर रखने को कहा है। सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच बैठते ही सभी गुप्तचर एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया था। गुप्तचर एजेंसियां नेपाल, बांग्लादेश सहित समुद्री रास्तों को भी अपनी जांच की जद में रखते हुए विभाग को सूचनाएं देतीं रहीं हैं।
को-आर्डिनेशन कमिटी को डायरेक्ट सूचना देने का निर्देश
एजेंसी ने कहा है कि नेपाल में कई कटटरवादी इस्लामिक संगठन सक्रिय हैं। उन संगठनों से आईएसआई के प्रशिक्षित एजेंट बराबर सम्पर्क में रहते हैं। कुछ महीनों पूर्व आएसआई के दो एजेंट भारत-नेपाल स्थित उलेमाओं और मौलानाओं से मिल कर कई गुप्त बैठकें कीं। भारत की खुफिया एजेंसी द्वारा उनके कारनामों का खुलासा किया गया था। उसके बाद नेपाली शासन तंत्र ने सक्रिय होकर उन्हें हिदायत की थी कि वे वापस लौट जाएं। हैरतअंगेज यह कि उनकी वीसा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वे नेपाल में ही रहना चाहते थे। वहां उन्हें सख्ती से वापस लौटने का निर्देश नेपाल सरकार ने दिया था।
मिली जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रायलय ने सभी गुप्तचर एजेंसियों को आगाह किया है कि वे आपस में समन्वय स्थापित कर को-आर्डिनेशन कमिटी को संवाद में रखें ताकि किसी तरह से आंतरिक अथवा बाहरी शक्तियों से विध्वंस नहीं हो। सूत्रों ने बताया कि सभी धार्मिक स्थलों पर सर्तकता बरतने की जरूरत है क्योंकि शरारती तत्वों के लिए विध्वंस कोई मायने नहीं रखता।