Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured Trending देश-विदेश

एनसीपी ने खोली पीके की पोल, कहा-हमसे तो कुछ और ही कह रहे थे…

नयी दिल्ली : चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच डील फाइनल हो गई है। अब बस ऐलान किया जाना है कि वे अब क्रांग्रेसी बन गए हैं। सारा कुछ तय-तपाट होने के पास इस डील को सोनिया गांधी के पास भेज दिया गया है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि प्रशांत किशोर अगले दो हफ्तों में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। लेकिन प्रशांत किशोर के कांग्रेसी बनने पर एनसीपी ने जबरदस्त खुलासा किया है। एनसीपी ने कहा कि अभी कुछ ही माह पूर्व पीके अपने लिए नए काम की तलाश में महाराष्ट्र आये थे और शरद पवार से मिले थे। तब वे हमसे कुछ और ही कह रहे थे।

कई पार्टियों को अलग-अलग प्रलोभन

प्रशांत किशोर की सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका तथा अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात पर एनसीपी ने हैरानी जतााई। शरद पवार के करीबी एक वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस के रिवाइवल हेतु पीके के उसमें शामिल होने संबंधी प्लान पर कहा कि हमें नहीं पता कि अब वे कांग्रेस के साथ किस योजना पर और कैसे चर्चा कर रहे हैं? उन्होंने हमारे साथ कुछ अन्य योजनाएं साझा की थी।

दुकानदारी चलाने के हुनर में माहिर

दरअसल चुनाव रणनीतिकार वाली अपनी दुकान चलाने के हुनर में प्रशांत किशोर काफी माहिर हैं। पीके ने मई 2021 में कांग्रेस के साथ अपनी पहली बातचीत शुरू की थी। तब वे पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी तृणमूल के साथ थे। इसके बाद जुलाई में वे कांग्रेस को पुनर्जीवित करने को लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों से मिले। लेकिन उसी समय वे महाराष्ट्र जाकर एनसीपी चीफ शरद पवार से भी मिल रहे थे। तब पीके ने एनसीपी और तृणमूल के विलय का सुझाव भी दिया था। तब पीके ने पवार से वादा किया था कि वह कांग्रेस और बीजेपी से कई असंतुष्ट नेताओं को एनसीपी में ला सकते हैं जिससे पार्टी कांग्रेस की जगह ले सकती है।

अब कांग्रेस को बनाया नया क्लाइंट

यही नहीं पीके ने गोवा चुनाव के पहले कांग्रेस के पूरे देश में भारी चोट दी और पार्टी में ममता के लिए बड़ी तोड़फोड़ को अंजाम दिया। तब उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर तंज कसते हुए ट्वीट भी किया कि—विपक्ष का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है। खासकर जब पार्टी हार गई हो। पिछले 10 वर्षों में 90 प्रतिशत से अधिक चुनाव कांग्रेस हारी है। विपक्षी नेतृत्व को लोकतांत्रिक रूप से तय करने दें।