नया ठौर तलाश रहे कुशवाहा, पर जाएं तो जाएं कहां?

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पटना : रालोसपा के नेशनल प्रेसिडेंट उपेन्द्र कुशवाहा ने भाजपा को नसीहत दी है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘धोखा-नम्बर 2’ के लिए तैयार हो जाएं। उनका स्पष्ट इशारा नीतीश के एनडीए से हट कर किसी अन्य दल से समझौता करने की तरफ है।
कुशवाहा के इस बयान से राजनीतिक गलियारे में चर्चा व्याप्त रही कि खुद एनडीए छोड़ कर महागठबंधन का दामन थामने वाले उपेन्द्र ने ऐसा बयान इसलिए दिया कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने पहली कैबिनेट में जद-यू कोटे से किसी एक को ही मंत्री पद का आफर दिया। इस आफर को नीतीश कुमार ने स्वीकार नहीं किया और बिना कोई खास प्रतिक्रिया दियेे बिहार आ गये। बिहार आते ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे संख्याबल के अनुपात में प्रतिनिधित्व चाहते हैं, आंशिक नहीं।
यहां स्पष्ट है कि उनके केन्द्र में कैबिनेट मंत्री बनने के तीन दावेदार हैं। रामचन्द्र प्रसाद सिन्हा, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह तथा केसी त्यागी। इसके अतिरिक्त दो और दावेदारों की बात चल रही है। मतलब हो गये कुल पांच। इतने दावेदारों को एकबारगी खुश करना न तो नई केन्द्र सरकार की नीति में है और न ही कोई मजबूत कारण। राजनीति के दिग्गज नीतीश कुमार को यह समझते देर नहीं लगी, सो समझदारी का परिचय देते हुए अगले कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा करने लगे।
इधर, बिहार में नई कैबिनेट के विस्तार में उन्होंने भाजपा को एक भी जगह नहीं दी। उल्टे, अपने ही दल के कुछ पूर्व मंत्रियों को भी जगह नहीं दी। अव्वल तो यह कि लोजपा के एक मंत्री पशुपति पारस जब सांसद बन गये तब उनकी पार्टी से भी किसी को मंत्री नहीं बनाया।
बहरहाल, राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार कोई भोले-भाले राजनीतिज्ञ नहीं हैं कि उन्हें बरगलाया जा सकता है। पदभार ग्रहण करते ही सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि पहले तो वे ही बताएं कि कहां रहेंगे और जाएंगे किधर।

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