नवपाषाणिक स्थल चिरांद में उत्खन्न शुरू, खुलेंगे सभ्यता के नए द्वार
डोरीगंज : सारण जिले में गंगा किनारे स्थित नवपाषाण कालीन चिरांद में करीब 48 वर्षों बाद उत्खनन कार्य फिर शुरू हो गया। गंगा, सरयू और सोन के संगम पर स्थित यह क्षेत्र विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक स्थलों में से एक है। इस स्थान पर खुदाई से प्राप्त अवशेषों ने भारत में पुरातत्व व इतिहास के अध्ययन को नई दिशा दी है। बिहार के पुरातत्व निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने चिरांद में होने वाले उत्खन्न के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दस मीटर बाई दस मीटर का एक ट्रेंच बनेगा जिसको चार भाग में बांट कर खुदाई होगी। प्रतिदिन जो खुदाई होगी वो पांच से दस सेंटीमीटर तक होगी। हर डीग के बाद मिट्टी को छाना जाएगा। पुनः मिट्टी हटाकर सतह को ब्रश से साफ किया जाएगा और देखा जाएगा कि कोई स्ट्रक्चर है या नहीं। यदि स्ट्रक्चर मिलता है तो आगे की खुदाई स्ट्रक्चर के बगल में की जाएगी। साथ ही इसका सेक्शन मेंटेन किया जाएगा। श्री वर्मा ने बताया कि लेयर मार्किंग से पता चलता है कि खुदाई में निकले अवशेष किस काल के हैं। उसके हिसाब से उसके विशेषज्ञ अपना विचार देंगे। मिले पुरावशेष का थ्री—डी रिकाॅर्ड होगा। साथ ही जो बर्तन के टुकड़े मिलते हैं, उसका भी रिकार्ड कर पॉट्टरी यार्ड में रखा जाता है। इस तरह कई विधियों से उत्खन्न का कार्य किया जाएगा।
इसके पूर्व बिहार सरकार के अवकाश प्राप्त निदेशक आर्कियोलाॅजी एवं म्युजियम के डाॅ. बीएस वर्मा का चिरांद आने पर भव्य स्वागत किया गया। चिरांद विकास परिषद द्वारा बुके व फूलमाला से उनका स्वागत किया गया। चिरांद पहुंचने पर 96 वर्षीय डाॅ. बीएस वर्मा की यादें एक बार फिर जीवंत हो गयी और वे कहने लगे कि यह वही जगह है, जहां से उन्हें काफी ख्याति मिली। हालांकि उन्होंने खुदाई शुरू करने के पूर्व खुदाई में आई कठिनाइयों को स्थानीय लोगों के साथ साझा किया और विशेषज्ञों व छात्रों को बताया कि यह स्थल दुनिया में इकलौता स्थान है। उक्त अवसर पर चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी, रघुनाथ सिंह, रासेश्वर सिंह, श्याम बहादुर सिंह, जजन राय के अलावा डेक्कन काॅलेज पुण के डाॅ. प्रबोध शिवरालकर, डेक्कन काॅलेज पुणे की अर्पिता विश्वास, तारिका तांबोकी, पटना विश्वविद्यालय के डाॅ. इस्फाक खां, इलाहबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रकाश सिन्हा, डेक्कन काॅलेज पुणे से प्रोफेसर सुषमा देव, डाॅ. आरती देशापांडे मुखर्जी, डाॅ. पंकज गोयल, युनिवर्सिटी आफ व्हीसकाॅनसील अमेरिका के डाॅ. रॅन्डल लाॅ, प्रोफेसर मार्क केनाॅय, केनेसावा स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका के डाॅ. टेरेसा रेकझंक, युनिवर्सिटी टोरंटो कनाडा के प्रोफेसर हैदर मिकर, डाॅ. कल्याण चक्रवर्ती, बीएसआईपी लखनउ के डाॅ. अनिल पोछरिया उपस्थित थे। बताते चलें कि चिरांद में उत्खन्न कार्य विगत 26 फरवरी से शुरू होने वाला था लेकिन पुरातात्विक टीम के आने बाद स्थल चयन से लेकर साफ सफाई आदि करने में हुए विलंब के कारण यह 4 मार्च से शुरू हुआ।