पटना : जाति और धर्म की राजनीति ने पूरे देश को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। कोई नयापन न होने के चलते एक ही ढर्रे पर देश की राजनीति हो रही है। इसमें परिवर्तन की नितांत आवश्यकता है। अतः धर्म और जाति की राजनीति को खत्म करना होगा। आप आज कितने भी अच्छे हों, कितने भी सिद्धांतवादी हों, यदि आपके पास संख्या बल नहीं है तो आपको हाशिये में धकेल दिया जायेगा। नेशन फर्स्ट की तरफ से आज राजधानी के बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। संगोष्ठी में बोलते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि भले ही देर लगे, लेकिन हम युवाओं को जगाने का काम करेंगे। संगोष्ठी के माध्यम से, कार्यक्रमों और सेमीनार के माध्यम से, घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करके अपने बारे में हम बताएंगे। पार्टी के सिद्धांतों को समझाएंगे।
पार्टी के प्रवक्ता विमल कुमार शर्मा ने कहा कि एक नए वैकल्पिक पोलिटिकल पार्टी का निर्माण किया गया है। अब तक देश में सिर्फ दो ही विकल्प थे।एक कांग्रेस दूसरी भाजपा।पिछले 70 वर्षों से जो राजनीति देश में हो रही है उसका आधार जाती और धर्म ही है। उन्होंने कहा कि आप देखिए जो भी राजनैतिक दल सत्ता में रहती है वो कैसे-कैसे योजनाओं को बनाती है। नौकरियों में आरक्षण की बात तो सब जानते हैं लेकिन यहाँ तो सरकारी योजनओं में हर स्तर पर सरकार जाति की राजनीति करती है। अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों के लिए भी तरह-तरह की योजनाएं लागू कर रही है। सरकार ऐसा जानबूझकर करती है ताकि समाज मे फुट बानी रहे और वो राज करते रहे। पूरे देश मे जातीय तनाव के लिए सिर्फ राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं। कई जगह तो धार्मिक तनाव उत्पन्न हो जाता है। लेकिन आज महौल बदल गया है अब हर जति के लोग हर तरह का काम कर रहे हैं। जब हर जाति के लोग हर तरह का काम करने लगे हैं तो फिर आरक्षण की व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। जाती-पाती का जो बंधन पहले था वो अब नहीं रहा और उसका नतीजा ये हुआ कि सब की बैकग्राउंड में परिवर्तन आ गया है। अतः अब वक्त आ गया है कि देश की राजनैतिक माहौल को चेंज किया जाय। गरीबी और अमीरी का निर्णय नए मानकों पर तय किया जाय। जो वर्ग विकसित हो चुका है उसकी पोजीशन में और जो वर्ग मुख्यधारा से कट चुका है उसका अध्ययन करके उन्हें सरकार सुविधा मुहैया कराए।
(मानस दुबे)
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