आम जीवन की खट्टी-मिठी कहानियों को रूपहले पर्दे पर खूबसूरती से परोसने वाले जानेमाने फिल्मकार बासु चटर्जी का गुरुवार को निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। उन्होंने सुबह के समय नींद में ही शांति से अंतिम सांस ली। वह उम्र संबंधी दिक्कतों के कारण पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रहे थे और उनके आवास पर ही उनका निधन हुआ। फिल्मकार अशोक पंडित ने चटर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह फिल्म उद्योग के लिए भारी क्षति है।
10 जनवरी 1930 को अजमेर में जन्म लेने वाले बासु दा की पहचान ‘मिडल आॅफ दी रोड’ सिनेमा के लिए है। 70 के दशक में जब एक ओर मसाला फिल्में व दूसरी ओर समानांतर सिनेमा का प्रचलन था, ऐसे में बासु दा ने मध्यम मार्ग चुना। बिना किसी धामाकेदार एक्शन व ड्रामे के उन्होंने शानदार फिल्में बनायीं। रजनीगंधा, छोटी सी बात, चितचोर, खट्टा—मीठा, उस पार, प्रियत्मा, चमेली जैसे हल्की—फुल्की फिल्मों के मध्यम से दर्शकों के दिलों में जगह बनायी। उनकी फिल्में चुटीले संवाद व सरल कथा से सजी होती थी, जिसे देखने में आनंद आता था, साथ ही उसमें जीवन मूल्य के संदेश में छिपे होते थे। बाद के दिनों में अपना मोड बदलते हुए बासु ने एक रुका हुआ फैसला और कमला की मौत जैसी फिल्में भी निर्देशित की।
विगत कुछ समय में हिंदी सिनेमा की कई हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इरफान खान, ऋषि कपूर, वाजिद खान के बाद अब बासु चटर्जी का निधन हो गया।