पटना : नहाय—खाय के साथ आज गुरुवार को लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरूआत हो गई। इस चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत शरीर की शुद्धि प्रक्रिया से प्रारंभ होती है। इसे देशी बोलचाल में नहाय-खाय कहते हैं। इसके तहत व्रती गंगा स्नान करने के बाद कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल बनाएंगे। व्रती के प्रसाद का सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत हो जाती है।
छठ को लेकर पटना के एनआइटी घाट, काली घाट दरभंगा हाउस, दीघा घाट, बांस घाट सहित सभी प्रमुखों घाटों को चुस्त-दुरुस्त कर दिया गया है। आज सुबह राजधानी पटना में नहाय-खाय का प्रसाद बनाने के लिए विभिन्न गंगा घाटों से गंगाजल लेकर लोग घर जाते दिखे।
रोशनी से जगमग हुईं सड़कें और घाट
छठ को लेकर घाट से लेकर सड़क सभी रोशनी से सराबोर हैं। जगमग करतीं सड़कों और घाटों की भव्यता देखते बन रही है। विभिन्न पूजा समितियों की ओर से बेहतर पंडाल बनाए गए हैं। जगह—जगह छठी मइया के गीत शहर को छठमय बना रहे हैं।
नहाय-खाय के बाद बनेगा खरना का प्रसाद
नहाय-खाय के बाद व्रती 24 घंटे का निर्जला उपवास करेंगे। इसके बाद कल शुक्रवार को खरना का प्रसाद बनेगा। व्रती पूरे दिन उपवास रहकर शाम में नदी में स्नान कर खरना का प्रसाद खीर और रोटी बनाएंगी। शुक्रवार को व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत कर तीन नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ देेने के साथ व्रत का समापन करेंगी।