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नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में उतरे बिहार के बुद्धिजीवी

पटना : नागरिकता संशोधन अधिनियम पर बिहार की राजधानी पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में रविवार को आयोजित संगोष्ठी चर्चा की विषय बनी हुई है। चिति के तत्वाधान में आयोजित इस संगोष्ठी में दक्षिणपन्थी बुद्धिजीवियों एवं विचारकों के साथ सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई समुदाय के धार्मिक नेताओं के साथ भारी संख्या में मौलान और मौलवी भी उपस्थित थे।

इस संगोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं ने सीएए को लेकर पूरे देश में चल रहे उपद्रव को खतरनाक बताया ,साथ ही राजनैतिक दलों को मुसलमानों की छवि ख़राब करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। इस संगोष्ठी में पटना के साथ-साथ बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से 600 से अधिक ऐसे लोग शामिल थे जिनकी भूमिका जन -अवधारणा बनाने में प्रमुख होती है।

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संगोष्ठी के मुख्य वक्ता व सीमा जागरण मंच सह संयोजक सी. मुरलीधर ने चिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि1947 में भारत की आजादी के साथ ही बंटवारा के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बंगलादेश में रहने वाले अलप्संख्यंकों का जो दुर्भाग्य शुरू हुआ था। वह 72 सालों बाद धीरे-धीरे दूर हो रहा है। यह दुख की बात है कि भारतवर्ष के हितों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णय का भी कुछ लोग अपने स्वार्थों के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी और सीएए पर विरोध अनायास नहीं है बल्कि एक साजिश के तहत और स्वार्थों की पूर्ति के लिए देश को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास है।

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प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक रामाशीष सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के संदर्भ ने कहा कि विरोध करने वालों की पृष्ठभूमि को देखें साथ ही यह भी देखें कि उपद्रव और हिंसा सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में क्यों हो रही है। साथ ही यह भी देखें कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में मुसलमान है। लेकिन, वहां इस तरह की कोई हिंसा नहीं हो रही है। एक तरफ इस हिंसा को रख दें और दूसरी ओर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दो-दो हाथ कर लेने के बयान पर गौर करें। इससे तस्वीर स्पष्ट हो जाती है कि इस हिंसा का खुला समर्थन देने वाले कौन लोग हैं। उन्होंने कहा कि 1947 में अपने पद और मनमानी के कारण मजहब के आधार पर देश को बांट देने वाले पंडित नेहरू की अदूरदर्शी और गलत नीतियों के कारण लाखों हिंदू मारे गए।

यह भी गौर करने वाली बात है अंग्रेजो के खिलाफ चलने वाली कई दशकों की लड़ाई में बंटवारे का कहीं जिक्र नहीं था लेकिन आजादी से मात्र 4 वर्ष पूर्व इसकी योजना बनी, 3 महीने पहले प्रस्ताव आए और एक झटके में देश के दो टुकड़े कर दिए गए।

उन्होंने कहा कि हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारतीय मुसलमानों को लेकर दिए गए बयान को पढ़ना चाहिए इससे वहां के लोगों को जो एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे हैं उनकी आंखें खुल जाएंगी। इमरान खान ने कहा है कि कि एक भी भारतीय मुसलमान को पाकिस्तान में दाखिल नहीं होने देंगे और आश्चर्य की बात है कि हमारे यहां के लोग रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने के लिए छाती पीट रहे हैं कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

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इससे पूर्व चिति के प्रांत संयोजक कृष्ण कांत ओझा ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि एक ऐसे समय में जब भारत सरकार के देश हित में लिए गए निर्णय का निजी स्वार्थों के लिए विरोध किया जा रहा है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हवाला देकर सरकारी संपत्तियों को नुकसान किया जा रहा है, पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला किया जा रहा है, ऐसे समय में नागरिक संशोधन कानून पर एक उचित दिशा में विमर्श हो इस हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत का मानस यह बात बखूबी समझ रहा है कि सीएए को लेकर किया गया विरोध भारत विरोधी मानसिकता का भौंडा प्रकटीकरण है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून देश की संसद ने विधि सम्मत तरीके से पारित करके बनाया है और ऐसा करने के लिए भारत की जनता ने नरेंद्र मोदी सरकार को इस लोकसभा चुनाव में जनादेश दिया था। अनुच्छेद 370 को या नागरिकता संशोधन कानून या सत्तारूढ़ दल द्वारा जनादेश का सम्मान करना ही है।

संगोष्ठी की अध्यक्षयता तुफैल कादरी ने की वहीं सिख समुदाय से इस कानून पर सरदार मनप्रीत सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे क्रांतिकारी और न्यायपूर्ण बताया। मौलाना समीम रिज़वी, महादलित परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बबन रावत,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अलतमश बिहारी समेत सैंकड़ों गणमान्य उपस्थित थे।