नागरिकों की आपसी समझ से राष्ट्र की समृद्धि: डॉ. शांति राय

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बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन

पटना: राष्ट्र की संकल्पना व समृद्धि उसके नागरिकों की आपसी समझ का परिणाम है। इसलिए मिल-जुलकर रहने और साथ में समस्याओं को मिलकर समझने से उसका समाधान निकल सकता है। उक्त बातें पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. शांति राय ने कहीं। वे मंगलवार को बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में आयोजित 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को ध्वजारोहण के बाद बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बड़े व सार्वजनिक कार्य को सफल बनाने के लिए एक दिशा में समेकित प्रयास करना पड़ता है।

बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के सचिव महंथ कमल नारायण दास ने कहा कि विद्यापीठ ने भारतीय परंपरा के अनुरूप शिक्षा का सूत्रपात किया था, जो अब भी जारी है। इसे निकट भविष्य में और सुदृढ़ करना है। विवेकशील होकर कार्य करने से यह लक्ष्य प्राप्त होगा। उन्होंने युवा से नशे से दूर होने का आह्वान किया। धार्मिक ग्रंथों के आख्यानकर्ता कृष्णकांत ओझा ने कहा कि वैदिक ऋषियों ने ‘संगच्छध्वं संवद्धध्वं’ का सूत्र दिया, जिसे आज भारत आत्मसात कर रखा है। 1947 में हमें राजनीतिक आजादी मिल गई। लेकिन, औपनिवेशिक मानसिकता से हम अभी भी नहीं निकल पाए हैं। यानी हम 76 साल पहले स्वाधीन हो गए, परंतु स्वतंत्र नहीं हो पाए हैं।

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वयोवृद्ध शिक्षाविद् गिरजाशंकर प्रसाद ने कहा कि विगत 6 दशकों में बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ने कई पीढ़ियों को शिक्षित एवं संस्कारित किया है। यहां राष्ट्रीय त्योहारों का आयोजन परंपरा का अंग है। इससे यहां के युवाओं में राष्ट्रीय भावना का संचार होता है। प्रसिद्ध स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. उषा शर्मा ने कहा कि आज के दिन हम सबको संकल्प लेना चाहिए कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के गौरव को पुन: उसी रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। मंच संचालन प्रशांत रंजन ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनू कुमार ने किया। संबोधन के उपरांत देशभक्ति गीतों पर संगीतमय प्रस्तुति भी हुई।

इस अवसर पर संत महानंद गिरी, सत्यपाल श्रेष्ठ, श्यामनंदन प्रसाद, गुणानंद सदा, संजीव कुमार, बच्चू शर्मा समेत राजधानी के कई चिकित्सक, शिक्षक, साहित्यकार, पत्रकार, व अन्य बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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