नयी दिल्ली : तीखी बहस के बीच आज सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश हो गया। गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करते हुए विपक्ष पर तंज भी कसा। विरोध के कारण बिल सीधे नही, बल्कि मतदान के जरिए पेश हुआ। बहुमत होने के कारण बड़े अंतर के साथ सरकार ने बिल की पहली परीक्षा पास कर ली।
बिल पेश करने के लिए वोटिंग
कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है। विरोध के बाद बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा। नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के पक्ष में 293 और पेश करने के विरोध में 82 वोट पड़े।
शिवसेना ने दिया मोदी सरकार का साथ
एनडीए से अलग होकर महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल पर मोदी सरकार का साथ दिया। शिवसेना अपना स्टैंड पहले ही क्लियर कर चुकी थी। जब मतदान हुआ तो शिवसेना ने मोदी सरकार को मत दिया।
बिल संविधान के खिलाफ नहीं : शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता बिल किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करता। ना ही यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की वजह से ही इस बिल को लाने की जरूरत पड़ी है क्योंकि धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा।
मालूम हो कि नए बिल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी। साथ ही अब नागरिकता पाने के लिए महज 6 साल तक ही देश में रहना अनिवार्य होगा।