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पटना : पिछले माह नैक की टीम ने बिहार का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना कॉलेज का दौरा किया था। अब नैक ने अपनी ग्रेडिंग जारी की है। ताजा ग्रेडिंग में अपनी पोजिशन देखकर बिहार का यह 156 वर्ष पुराना कालेज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। नैक ने 156 साल पुराने पटना कॉलेज को सी ग्रेड दिया है। इसे लेकर पटना कॉलेज के शिक्षकों, छात्रों और यहां तक कि गौरवशाली अतीत के साक्षी रहे एलुमिनि भी मायूस हैं। चारों तरफ पटना कॉलेज की मौजूदा शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
सात मानकों पर हुई ग्रेडिंग
जानकारी के अनुसार इसबार नैक ने सात मानकों पर ग्रेडिंग की है। इसमें किसी में भी पटना कॉलेज को बी प्लस ग्रेड नहीं मिला है। जाहिर है कि कॉलेज को सी ग्रेड मिला है। पटना विश्वविद्यालय के इतिहास में अब तक किसी भी कॉलेज को सी ग्रेड नहीं मिला था। इस वर्ष पटना कॉलेज ने पहली बार ग्रेडिंग करवाई। लेकिन कुल चार सीजीपीए में महज 1.62 अंक प्राप्त किये।
केंद्रीय फंड पर होगा असर
विदित हो कि नैक की खराब ग्रेडिंग का असर सेंट्रल एजेंसियों से मिलने वाले फंड पर पड़ता है। कॉलेज ने आइआइक्यू 29 मार्च को और सेल्फ स्टडी रिपोर्ट 24 मई को जमा किया था। इसके बाद एक्रिडेशन के लिए 18 व 19 अक्टूबर को नैक की टीम ने कॉलेज का निरीक्षण किया था जिसके बाद ग्रेडिंग की गई। ग्रेडिंग में सभी मानकों के लिए चार सीजीपीए निर्धारित थे। तीन से अधिक अंक प्राप्त करने पर ‘ए’ ग्रेड दिया जाता। लेकिन पटना कॉलेज ने किसी भी मानक में अच्छा स्कोर नहीं किया। कॉलेज को सबसे अधिक चार में 2.35 अंक टीचिंग-लर्निंग एंड इवैल्यूएशन में मिला है।
शिक्षकों की भारी कमी उजागर
नैक ने अपने इवैलुएशन रिपोर्ट में जहां पटना कॉलेज में रिसर्च और प्लेसमेंट पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं शिक्षकों की भारी कमी को लेकर भी सवाल उठाया है। अभी यहां लगभग 2500 छात्रों पर मात्र 32 स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं। साफ है कि गेस्ट फैकल्टी के सहारे ही कॉलेज चल रहा है।