पटना : कोरोना संकट को लेकर हुए 21 दिनों के लाॅक डाउन के कारण नौ दिनों से दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा -ठेला चालक, फेरी देने वाले अपने-अपने घरों में है। इनके समक्ष उत्पन्न भोजन के संकट को दूर करने के लिए समाज की ओर से अद्भुत पहल शुरू किए गए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग को पूर्णतः अमल में लाते हुए चुपचाप जरूरतमदों तक तेजी से राहत सामग्री पहुँचाया जा रहा है।
स्वयंसेवकों का वितरण मॉडल
वर्तमान में उत्पन्न संकट से उबरने के लिए आरएसएस के स्वयंसेवकों ने अद्भुत वितरण मॉडल तैयार किया है। इसके अनुसार पहले पटना के विभिन्न मुहल्लों में रहने वाले स्वयं सेवक अपने मुहल्ले में घुमकर जरूरत मंद लोगों के बारे में जानकारी एकत्रित करते हैं। इसके बाद उसकी सूची बनाकर इस कार्य के लिए बने केंद्र के पास भेज देते हैं। सूचना संग्रहण केद्र वह सूची राजधानी पटना में चल रहे आपूर्ति पैकेट निमार्ण केंद्रों को भेज देते है। वहीं अलग-अलग स्थानों पर सेकड़ों स्वयं सेवक चावल, आटा, हैण्डवास जैसे सामानों की पैकेट तैयार करने में लगे हैं। ऐसे केंद्रों पर वितरण में लगे स्वयं सेवक प्रातः छह बजे से वाहन के साथ आने लगते हैं।
वितरण टोली में मात्र दो लोग
एक वितरण टोली में मात्र दो लोग होते हैं। एक वाहन चालक और दूसरा पैकेट वितरण प्रमुख। ये दो लोग निर्घारित मुहल्ले में वितरण पैकेट के साथ जाते हैं जहां उनसे उस मुहल्ले की सूचना भेजने वाला एक व्यक्ति उपस्थित रहता है। वह उनके साथ मिलकर जरूरत मंदों के घर तक सहायता सामग्री पहुंचाता है। घर के दरवाजे पर ही सामग्री देने के साथ ही उन्हें इस वायरस से होने वाली हानि व बचने का उपाय बताया जाता है।
इस प्रकार तीन स्वयंसेवकों की यह टोली बिना शोर मचाए चुपचाप 100 से अधिक परिवारों तक सहायता सामग्री पहुंचा देता है। पटना साहिब से लेकर पश्चिमी पटना में विशेष तौर से चयनित स्वयं सेवकों के ऐसी 57 टोलियां काम कर रही है। इनके माध्यम से एक दिन में 6000 से अधिक जरूरतमंद परिवारों तक राशन व अन्य आवश्यक सामग्री पहुंच रहे हैं।
इसके साथ ही उन परिवारों से संपर्क कर उनका उत्साह बढ़ाया जा रहा है। स्वयं सेवक यह कार्यक्रम जन कल्याण समिति नामक मंच का गठन कर चला रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर कहीं-कहीं सामूहिक रूप से भी सामान वितरण कराया जा रहा है। इसमें समाज के सक्षम लोग व संस्थाएं भी सहयोग कर रही है।