पटना : नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने साथ आकर 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसी ‘मोदी सुनामी’ को जन्म दिया जो समूचे बिहार को ले उड़ी। अपनी जीत को एक फकीर की जीत बताने वाले नरेंद्र मोदी ने जब कहा कि यह उन शौचालय के लिए तड़पती करोड़ों माताओं की जीत है, तब इस एक वाक्य ने उनकी रणनीति की गहराई बयां कर दी। पीएम मोदी और सीएम नीतीश की इस डबल इंजन वाली रणनीति ने राजद और महागठबंधन की सोशल इंजिनियरिंग को रौंद डाला। नतीजा, बीजेपी नीत एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज कर लगभग क्लीन स्वीप कर दिया।
खूब चली मोदी—नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग
एनडीए ने लालू के राजद, कुशवाहा की रालोसपा, मांझी की हम और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी वाले महागठबंधन का सफाया कर दिया। कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल किशनगंज में महागठबंधन के लिए एकमात्र सीट जीत खाता खोला। बाकि 39 सीटों पर उसके सभी क्षत्रप ढेर हो गए। खून बहाने की धमकी देने वाल कुशवाहा तो मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचे। हम के मांझी भी खुद चुनाव हार गए। वहीं एनडीए में जहां भाजपा और एलजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की, तो जेडीयू केवल एक सीट पर हारी।
इस जीत के बाद बिहार की जनता का धन्यवाद करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा, ‘हमने केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में हमारे द्वारा किए कामों के आधार पर वोट मांगा। जिस तरह से लोगों ने हमें वोट दिया, उससे हमारी प्रतिबद्धता और भी ज्यादा बढ़ गई है। हम बिहार के विकास के लिए काम जारी रखेंगे।’ केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल होने पर नीतीश ने कहा कि यह सरकार चला रहे लोगों के विवेक पर निर्भर करता है कि वे कैबिनेट में किसको शामिल करना चाहते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।