बड़े इतिहासकार ने कबूला, औरंगजेब ने काशी-मथुरा में मंदिर तोड़ बनवाई मस्जिद

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नयी दिल्ली : भारत में मुस्लिम शासन के दौरान बड़े पैमानों पर मंदिरों को तोड़कर उनकी जगह मस्जिद बनवाने के चलते उपजे विवाद के बीच मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब ने यह बात कंफर्म कर दी है कि औरंगजेब द्वारा ही काशी और मथुरा में मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि मुगल हों या सल्तनत काल के सुल्तान, वे कोई भी काम छुप—छिपा कर नहीं करते थे। तब जो होता था, वह खुलेआम होता था।

ऐतिहासिक तथ्यों का दिया हवाला

वाराणसी के ज्ञानवापी और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से सटे बने मस्जिद पर बड़ा खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि औरंगजेब द्वारा ही काशी और मथुरा में मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस बात के ऐतिहासिक तथ्य इसी बात की ओर ईशारा करते हैं। तोड़े गए अधिकांश मंदिरों को राजा वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के शासनकाल में बनावाया था। उस समय के मथुरा और काशी में दो प्रमुख मंदिर थे। इन्हें मुगल शासक औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। इसमें शक वाली ऐसी कोई बात नहीं जो नई हो। बल्कि सभी बातें इतिहास में दर्ज हैं।

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मस्जिदों के प्रति सहिष्णुता की अपेक्षा

लेकिन इस बड़े इस्लामिक स्कॉलर और इतिहासकार ने भारत के लोगों से सवाल किया कि अब आप कितना पीछे जाना चाहते हैं? जो मस्जिद 1670 में बन गई थी, क्या अब इसे तोड़ा जा सकता है? जो गलत काम औरंगजेब ने किया, क्या अब वही गलत काम सरकार करेगी?

सच कबूला, पर कानून की आड़ लेने की मंशा

यहां दिलचस्प बात यह है कि इस प्रतिष्ठित इतिहासकार ने भारत के लोगों से एक तरह से मस्जिद के प्रति सहिष्णुता का तकाजा तो कर दिया, लेकिन वे अपने लोगों को बहुसंख्यक भाइयों की आस्था से गहरे जुड़े इन पूजा स्थलों की मुक्ति के लिए बड़प्पन और भाईचारे की जगह अपनी धार्मिक कट्टरता पर न झुकने की लाचारी ही सामने रखी। इरफान हबीब ने यह भी कबूला कि इन मस्जिदों में मंदिर की निशानियां मौजूद हैं। उन्होंने यह भी बताया कि औरंगजेब ने जो मंदिर तुड़वाये, उसके पत्थरों को मस्जिदों में लगावा दिया। ज्ञानवापी मस्जिद पर भी इरफान हबीब ने खुलकर बोला। लेकिन यह भी कहा कि आज ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बात की जा रही है। लेकिन जो मुकदमा दायर किया गया था उसमें शिवलिंग का जिक्र नहीं था। लेकिन इसे अब मुद्दा बनाकर पेश किया जा रहा है। उदाहरण के लिए उन्होंने चित्तौड़ में राणा कुंभा के मीनार का हवाला दिया जिसपर अरबी में अल्लाह लिखा है। लेकिन इसे हम मस्जिद तो नहीं कह सकते।

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