मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त एक वर्ष के लिए निर्वाचन आयोग से मिलने वाले वेतन का तीस प्रतिशत कोविड के लिए दान करेंगे
दिल्ली : कोरोना संकट से निपटने के लिए सभी देशवासी अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में देश कोविड -19 महामारी से जूझ रहा है। यह स्पष्ट है कि अन्य एजेंसियों के साथ सरकार इस महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है। सरकार और सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। जिसके लिए सभी स्रोतों से योगदान सहायक हो सकता है। इसमें राजकोष पर वेतन का बोझ कम करना भी शामिल है।
इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चंद्रा को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिए जाने वाले मूल वेतन में तीस प्रतिशत की स्वैच्छिक कटौती के रूप में योगदान करने का निर्णय लिया है। यह स्वैच्छिक कटौती 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाले वर्ष में एक साल की अवधि के लिए होगी।
मालूम हो कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी । जिसमें दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए थे। इसमें कैबिनेट ने एक अध्यादेश लाया था। जिसके तहत सांसदों की 30 फीसदी तनख्वाह/सैलेरी एक साल के लिए कम कर दिया गया है। मतलब कैबिनेट ने मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के तहत सैलरी, अलाउंस व पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें संसद के सभी सदस्यों का वेतन और पेंशन एक साल के लिए 30 फीसदी घटाया गया। तथा यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू होगी।