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मोदी, चौबे के बाद अब रविशंकर ने भी किया नेत्रदान

पटना : अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस के दो दिन पूर्व दधीचि देहदान समिति ने देहदान संकल्प महोत्सव का आयोजन कर देहदान व नेत्रदान के लिए अनुकूल सामाजिक माहौल बनाने का अभियान शुरू कर दिया। पटना के विद्यापति भवन में आयोजित समारोह में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चैबे की तरह मैं भी आज अपना नेत्रदान करने की घोषणा करता हूं। इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान भी मैं शीघ्र ही पूरा करूंगा। दधीचि देहदान समिति के तत्वाधान में आयोजित इस समारोह का उन्होंने उद्घाटन किया। समारोह में अपने पुराने साथी सुशील कुमार मोदी और अश्विनी चैबे की बात सुनने के बाद उन्होनें अपने भाषण में यह घोषणा कर दी।
समारोह के मुख्य अतिथि सिक्किम के राज्यपाल और दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष गंगा प्रसाद ने कई मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि केवल देहदान के संकल्प से ही काम नहीं बनता। देहदान करने के बाद अपने परिवार को भी मानसिक रूप से इस काम के लिए तैयार करना होगा। नहीं तो परिवार के विरोध की स्थिति में देहदान की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है। उन्होंने कई ऐसा घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देहदान से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है।
समिति के संरक्षक व बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने 2013 में दधीचि देहदान समिति की बिहार इकाई का उद्घाटन किया था। तब से यह अपने लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देहदान एवं नेत्रदान का कोई विेकल्प नहीं है क्योंकि मनुष्य के शरीर के अंदर के अंगों का निर्माण अभी तक कियी प्रयोगशाला में संभव नहीं है। ऐसे में मृत व्यक्ति के अंगों का उपयोग कर ही मौत की कगार पर खड़े बीमार आदमी की जान बचायी जा सकती है। महर्षि दधीचि पहले देहदानी थे। वर्तमान में नानाजी देशमुख ने उनकी परंपरा को सामने लाया।
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चैबे ने कहा कि संतों से विमर्श के बाद मै और मेरी पत्नी ने भी अपना देहदान किया है। सनातन धर्म के अनुसार इससे पुनित कार्य दूसरा कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की ओर से भी विशेष प्रयास किया जा रहा है। दिल्ली एम्स के चिकित्सकों के समझाने के बाद दुर्घटना में मृत 17 वर्ष के एक युवक के माता पिता ने उसका अंग दान कर दिया। इससे 27 वर्ष के एक युवक को जीवन मिला।
वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि यहां भी अंगदान का माहौल बनने लगा है। एम्स में गुर्दा प्रत्यर्पण का काम सफलतापूर्वक हो रहा है। वहीं पीएमसीएम सहित दिन मेडिकल कालेज अस्पतालों में नेत्रदान की सुविधा हो गयी है। इस साल के अंत तक बिहार के सभी मेडिकल कालेजों में कार्निया बैंक काम करने लगेगे।
समिति के महासचिव बिमल जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर अंगदान करने वाले परिवार के सदस्यों को सम्मान प. दिया गया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अभिजीत कश्यप और दीघा के विधायक संजीव चैरसिया भी उपस्थित थे।