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मिथिलेश ने परोसी मगही ‘देवन मिसिर’

पटना: बिहार के क्षेत्रीय सिनेमा की जब भी बात होती है, तो सबसे पहले लोग भोजपुरी फिल्मों की चर्चा करते हैं। हालांकि अब चीजें बदल रही हैं। प्रसन्नता की बात है कि भोजपुरी फिल्मों से इतर अब बिहार की दो अन्य प्रमुख लोकभाषा मगही और मैथिली में भी फिल्में बनने लगी हैं। मगही में ’देवन मिसिर’ और मैथिली में ’प्रेमक बसात’ रिलीज होने को है।
कुछ फिल्म इतिहासकारों की मानें, तो बिहार में क्षेत्रीय सिनेमा का सिलसिला मगही से ही शुरू हुआ। 1961 के आसपास दो मगही फिल्में ’भैया’ और ’मोरे मन मितवा’बनीं। लेकिन, उसके बाद मगही फिल्में नहीं बन सकीं। 1962 से भोजपुरी फिल्मों के बनने का सिलसिला जारी रहा।

बहरहाल, बात होनी चाहिए मगही सिनेमा में शुरू हुए दूसरे प्रयास की। बिहार के अनुभवी रंगकर्मी मिथिलेश सिंह ने मगही फिल्म बनाई है ’देवेन मिसिर’। मगध के लोकप्रिय मिथकीय चरित्र देवेन मिसिर को लेकर बनाई गई है। मगध इलाके में देवन मिसिर की लोकप्रियता वैसी ही है जैसे मिथिला क्षेत्र में गोनू झा की। इसके फिल्मकार मिथिलेश सिंह हैं। उन्होंने ही इसकी पटकथा भी लिखी है। स्वत्व पत्रिका से विशेष बातचीत में मिथिलेश सिंह ने बताया कि ’देवेन मिसिर’ का कैरेक्टर ऐसा है कि उस पर मगही के अलावा किसी और भाषा में फिल्म बनती, तो किरदार के साथ न्याय नहीं होता। मगही में फिल्म निर्माण कितना जोखिम भरा रहा? इस पर वे कहते हैं कि भोजपुरी फिल्मों में स्टार पावर व बना-बनाया मार्केट है। लेकिन, मगही के साथ यह सुविधा नहीं है। ऐसे में फिल्म का कंटेंट अच्छा होने के बावजूद लोगों को सिनेमाघर तक खींच लाना बड़ी चुनौती है। वैसे मिथिलेश सिंह के लिए राहत की बात है कि फिल्म से पहले देवन मिसिर का कथानक नाटक के रूप में हिट हो चुका है, साथ ही इसके फिल्मकार का भी नाटकों से गहरा संबंध रहा है। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि नाटक की तरह ही फिल्म भी लोकप्रिय होगी और मगही सिनेमा उद्योग में जान फूंकने में सहायक होगी। ठीक वैसी ही जैसे ’ससुरा बड़ा पइसावाला’ के बाद भोजपुरी सिने उद्योग में तेजी आई थी।

‘देवन मिसिर’ जल्द ही सिनेमा घरों में

‘देवन मिसिर’ बिहार के सिनेमाई पर्दे पर दस्तक दे रही है। ‘प्रेमक बसात’ (मैथिली) भी जल्द आएगी। अनुमान है कि पहले मिथिला क्षेत्र के सिनेमा घरों में लगेगी, उसके बाद रिस्पांस को देखते हुए अन्य क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इसके निर्देशक रूपक शरर हैं और निर्माता वेदांत झा। खास बात है कि इस मैथिली फिल्म में प्रसिद्ध गायक उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण ने भी गाना गाया है। मैथिली में गाना गाकर आदित्य उत्साहित हैं। वैसे एक बात दिलचस्प है कि मैथिली समाज से ताल्लुक रखने वाले आदित्य के पापा उदित जब निर्माता बनें, तो उन्होंने भोजपुरी में फिल्म ’कब होई गवना हमार’ (2005) बनाइ थी। ’प्रेमक बसात’ के अलावा एक और मैथिली फिल्म ’लव यू दुल्हन’ बनकर तैयार है। बकौल फिल्मकार, कुसहा त्रासदी की कहानी को पूरी पारदर्शिता के साथ इस फिल्म में दिखाया गया है।

भोजपुरी फिल्मों जैसा दर्शक वर्ग फिलहाल तो मगही और मैथिली फिल्मों के पास नहीं है। लेकिन, संभावना है कि अगर फिल्में अच्छी बनेंगी, तो निश्चित रूप से मगही और मैथिली सिनेमा को भी प्रवाह मिलेगा। दोनों फिल्मों के पोस्टर बताते हैं कि भोजपुरी फिल्मों की बजबजाहट से दूर है। यह अच्छा और संभावना जगानेवाला प्रयास है। दोनों निर्माताओं के साहस व दृष्टि की प्रशंसा होनी चाहिए।