मीठापुर से क्यों अलग है सरकारी बस स्टैंड? खुद जान लीजिए!

0

पटना : दोपहर का समय है। सभी जल्दबाजी में दिख रहे हैं। कुछ लोग अपने गन्तव्य की ओर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ लोग बेसब्री से अपने को जाने वाले वाहन का इंतज़ार कर रहे हैं। ये ऐसी जगह है जो सबको उनके मंज़िल तक पहुंचाती है। जी हां हम बात कर रहे हैं राजधानी में गांधी मैदान पास अवस्थित सरकारी बस अड्डे की। यहां से बिहार के कोने-कोने के लिए बस मिलती है। हाल ही में भारत सरकार के प्रयास से इस बस अड्डे से काठमांडू तक की यात्रा संभव हुई है। पटना का यह सरकारी बस अड्डा अंतरराज्यीय बस अड्डे के खिताब से भी नवाजा जा चुका है।
सरकारी सुविध के दावों की पड़ताल करने हम सीधे बस अड्डे पहुंच गए। घुसते ही हमारा सामना परिसर में फैली गंदगी और बेतरतीब खड़ी बसों पर पड़ी। फिर आगे बढ़कर घूमने पर हमें यात्रियों के लिए बैठने की कहीं सुविधा नहीं देखी। इस बाबत हमने अधिकारियों से संपर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने कोई भी अधिकृत बयान देने से इनकार कर दिया। कुछ मुसाफिर टिकट गैलरी में ज़मीन पर बैठे थे, वहीं कुछ यात्री परिसर में खड़े होकर अपनी बस का इंतज़ार कर रहे थे।
औरंगाबाद जाने वाले यात्री रवि ने कहा कि मैं अक्सर काम के सिलसिले में आता-जाता रहता हूं पर आज तक सरकार की तरफ से यात्रियों के लिए बैठने का इंतज़ाम नहीं किया गया है। बस स्टैंड के नज़दीक सुधा डेयरी के अशोक ने बताया कि सरकार की योजनाएं तो अच्छी होती हैं पर उसे लागू करनेवाले उसमें गड़बड़ी कर जाते हैं।
सीतामढ़ी जा रहे विनय ने बताया कि अभी गर्मी और शादी विवाह का मौसम आनेवाला है। उसने कहा कि यात्रियों का असली दर्द उसी समय आपको देखने को मिलेगा। उसने कहा कि यात्री पसीने से तर—बतर रहते हैं। पसीने और गर्मी से बचने के लिए कुछ लोग चाय की दुकानों में टाइम पास करते तो कुछ लोग बस में बैठने चले जाते हैं। एक अन्य यात्री ने बताया कि गर्मी में यहां लगे सभी नलों में कुछ न कुछ खराबी हो जाती है और मज़बूरी में यात्रियों को बिसलेरी खरीदना पड़ता है। उस यात्री ने बताया कि बरसात में जब बारिश होने लगती है तब ज्यादातर यात्री अपने को भींगने से बचाने के लिए छाता का इस्तेमाल करते हैं या आसपास के बिल्डिंगों की शरण में चले जाते हैं या किसी दुकान में घुस जाते हैं। बारिश का पानी तो परिसर से निकल जाता है लेकिन कचरा और कीचड़ कई दिनों तक जमा रहता है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
राधेश्याम नाम के बुजुर्ग यात्री ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी महिला यात्रियों को होती है। रात के वक़्त सफर करना बेहद ही डरावना और खौफनाक होता है महिलाओं के लिए। उन्होंने कहा कि यहां पुलिस की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन पुलिस तो दूर एक सिपाही तक यहां नज़र नहीं आता है।
मानस दुबे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here