पटना : क्या आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का करिश्मा 2019 के लोकसभा चुनाव में खत्म हो जायेगा? यह सबाल लाजिमी है क्योकि यह पहला मौका है जब लालू यादव चुनाव की गतिविधि से दूर रहेंगे। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें टिकट बंटवारे के लिए अधिकृत कर दिया है। लेकिन वे कैसे और किस तरह इस जिम्मेदारी को निभा पाते हैं, यह तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन इतना तय है कि इसबार बिहारवासी लालू के तीखे और व्यंग्यात्मक लाइव प्रहार को बहुत मिस करेंगे। लालू यादव अभी चारा घोटाला में रांची में सजा काट रहे हैं। ऐसे में टिकट बंटवारे की जिम्मेवारी वो कैसे निभाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। एक तो सजायाफ्ता कैदी और दूसरे जेल में मिलने वालों पर पाबंदी।
राजद के पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का कहना है कि टिकट बंटवारे के लिए लालू जी से बढ़िया व्यक्ति पार्टी में कोई नहीं हो सकता है। उनको मालूम है कि अमुक व्यक्ति अमुक जगह से चुनाव जीत सकता है। उन्हें वहां की समस्या, जातिगत समीकरण एवं विरोधी पार्टी के उम्मीदवार की कमजोरी की पूर्ण जानकारी है।
राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे भी मानते हैं कि लालू यादव को पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड द्वारा टिकट बंटवारे के लिए अधिकृत करना बिल्कुल सही है। लेकिन एक बंदी द्वारा जेल से कैसे टिकट बंटवारा किया जा सकता, इस सबाल पर पूर्वे मौन रहना पसंद करते हैं। लेकिन एक लालू भक्त नेता का कहना है कि इसमें हर्ज क्या है। जेल में तो उनके समर्थक मिलने जाते ही रहते हैं। फिर पार्टी के कुछेक नेताओं को उनसे मिलने में झारखंड सरकार को क्या दिक्कत होगी? आखिर वो अपनी पार्टी के सर्वेसर्वा जो ठहरे। राजद पार्लियामेंट्री बोर्ड ने परसों की बैठक में लालू प्रसाद को टिकट बंटवारे के लिए अधिकृत किया था।
वहीं दूसरी ओर बीजेपी का मानना है कि राजद के पास उम्मीदवार की कमी है। इसलिए लालू यादव को टिकट बंटवारे का जिम्मा दिया गया है। महागठबंधन में सीट के बंटवारे को लेकर काफी खींचतान चल रही है। ऐसे में टिकट को लेकर आपसी मतभेद उभर सकता है, जो महागठबंधन की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। इसका फायदा एनडीए को चुनाव में मिल सकता है। लेकिन एक बात तो तय है कि 2019 के चुनाव में लालू का आभामंडल देखने को नहीं मिलेगा। साथ ही उनके जुमले को लोग मिस करेंगे।