Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट बिहारी समाज राजपाट

फोन करते रहे मंत्री, DIG ने नहीं दिया जवाब, राज्य में अफसरशाही हावी

पटना : बिहार सरकार में मंत्रियों की हैसियत क्या है, ये बिहार के मंत्री खुद अपनी जुबान से बता रहे हैं। बिहार में अफसरशाही इस कदर हावी है कि मुख्य सचिव, डीजीपी या प्रधान सचिव तो दूर डीएम, एसपी या डीआईजी भी अब मंत्री जी का फोन रिसीव नहीं करते हैं। अबकी बार इस बात का आरोप बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री ने लगाया है।

दरअसल, बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार एक डीआईजी के फेरे में फंस गए। एक फरियादी की शिकायत पर बेगूसराय के डीआईजी राजेश कुमार को मंत्री मंत्री श्रवण कुमार फोन पर फोन करते रह गए लेकिन डीआईजी ने कोई भाव ही नहीं दिया।

डीआईजी साहब ने फोन रिसिव नहीं किया और न ही वापस कॉल किया

बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कल एक फरियादी की शिकायत पर बेगूसराय के डीआईजी राजेश कुमार को चार-पांच बार फोन किया। लेकिन डीआईजी साहब ने फोन रिसिव नहीं किया और न ही उन्होंने वापस मंत्री को कॉल किया। ये वाकया कहीं और का नहीं बल्कि नीतीश कुमार की पार्टी के प्रदेश कार्यालय का है, जहां उनके मंत्री जनता दरबार लगाते हैं। मंत्री श्रवण कुमार जन-सुनवाई कार्यक्रम में लोगों की शिकायत सुन रहे थे और इस दौरान उन्होंने बेगूसराय के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश कुमार को कई बार फोन किया था।

डीआईजी को लिखा पत्र

वहीं, इसको लेकर मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि एक फरियादी पहले भी आया था, जिसके कहने पर वे डीआईजी को पत्र लिखे थे। फरियादी ने इस बार शिकायत की कि मंत्री के पत्र के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बाद मंत्री ने डीआईजी को फोन लगाया पर बात नहीं हो सकी। क्योंकि कई बार कॉल करने पर भी उन्होंने फोन का कोई जवाब ही नहीं दिया। इस दौरान जन-सुनवाई कार्यक्रम में जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा और ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि, बिहार में अफसरशाही किस कदर हावी है उसका यह पहला उदाहरण नहीं है। विपक्ष तो बाद में उससे पहले सत्ता पक्ष और सत्तारूढ़ दलों के नेताओं और पदाधिकारियों की लिस्ट काफी लंबी है। जो किसी न किसी मौके पर आरोप लगाते रहते हैं कि बिहार के अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते है।

इससे पहले नीतीश के नए सेनापति और जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी बिहार में नौकरशाहों की करतूत की पोल खोली। तो उससे पहले बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने भी अफसरशाही का आरोप लगाया है। यह माना कि यहां लाल फीताशाही की चलती है।

वहीं, इन तमाम आरोपों के बीच अभी हाल ही में नीतीश सरकार ने बिहार में बढ़ती अफसरशाही पर लगाम कसने की तैयारी की। अफसरशाही पर अंकुश लगाने के लिए नीतीश सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार कियाा और राज्य के मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने इसके लिए बजाप्ता एक लेटर जारी किया।