पटना : 19 फरवरी से 24 मार्च तक चले बिहार विधान मंडल का बजट सत्र का बुधवार को समापन हो गया। इस बार के 22 दिनों तक चलने वाले इस सत्र की शुरूआत राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुई तो 22 फरवरी को वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने राज्य सरकार का बजट पेश किया। हालांकि इस बार के सदन में प्रश्नोत्तर काल बेहतर तरीके से चला और विधान सभा अध्यक्ष द्वारा विपक्ष और विपक्षी दल के नेता को विशेष तबज्जों दिेये जाने पर सत्ता पक्ष की ओर से ही आसन पर उंगली उठी।
वहीं इस बार बजट सत्र में सदन ने 14 विधेयक पास किए। इनमें से बिहार विनियोग विधेयक, बिहार विनियोग (संख्या-2) विधेयक, बिहार लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, बिहार कराधान विवादों का समाधान विधेयक, बिहार विनियोग अधिकाई व्यय (1984-85) विधेयक, बिहार नगर पालिका संशोधन विधेयक, बिहार सिविल न्यायालय विधेयक, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन संशोधन विधेयक, बिहार राज उच्चतर शिक्षा परिषद संशोधन विधेयक, बिहार राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, पटना विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग संशोधन विधेयक एवं बिहार पंचायत राज संशोधन विधेयक पास हुए।
इसके अलावा महेश्वर हजारी विधानसभा के उपाध्यक्ष चुने गए। वे बिहार विधानसभा के 18वें उपाध्यक्ष चुने गए हैं।
2847 प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त
वहीं, सत्र के दौरान कुल 4397 प्रश्न प्राप्त हुए जिनमें 3616 प्रश्न स्वीकृत हुए स्वीकृत प्रश्नों में 78 अनुसूचित, 375 तारांकित एवं 463 और अतारांकित थे। सदन में उत्तरीय प्रश्नों की संख्या 377, सदन पटल पर रखे गए प्रश्न उत्तर 132, उत्तर संलग्न प्रश्नों की संख्या 1922, पृष्ठ प्रश्नों की संख्या 130 शेष 755 प्रश्न अनागत हुए तथा 2847 प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त हुए।
बजट सत्र में कुल 743 निवेदन प्राप्त हुए, जिसमें 720 स्वीकृत हुए एवं 23 और अस्वीकृत हुए। कुल 334 याचिकाएं प्राप्त हुई, जिनमें 290 स्वीकृत एवं 44 अस्वीकृत हुई। सत्र में कुल 102 गैर सरकारी संकल्प की सूचना पर सदन में चर्चा हुई।
वहीं सदन के अंदर और बाहर माननीय कहलाने वाले विधायकों की जहां पहली बार पुलिसिया पिटाई की गयी वहीं बिहार की इतिहास में पहली बार सदन के अंदर पुलिस को उतारना पड़ा और विधायकों को संरक्षण देने वाले विधान सभा अध्यक्ष को डर अपने माननीय से ही हुआ और उन्हें पुलिस के साये में सदन को चलाने के लिये बाध्य होना पड़ा।