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मीडिया में साहस का होना बेहद जरूरी : स्वाति भट्टाचार्य

पटना : ” अभिव्यक्ति की आज़ादी” और ” मीडिया पर खतरा” विषय पर ऑक्सफॉम द्वारा पटना में आयोजित सेमिनार में आज देशभर से बरिष्ठ पत्रकारों का जमावड़ा हुआ। इसमें पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र भी शामिल हुए। आनंद बाजार पत्रिका कोलकाता की एससोसिएट एडिटर स्वाति भट्टाचार्य ने कहा कि एक ज़माने में हमलोग सोचते थे कि सच्चाई के लिए अखबार और मीडिया हाउस ही लड़ सकता है। जो मीडिया हाउस जितना ताकतवर होगा वो समाज से, सरकार से लड़ाई जरूर करेगा। लेकिन आज का मीडिया हाउस सत्ता के करीब होने की वजह से सच्चाई को उस रूप में नहीं दिखा पा रहा है जिस रूप में उसे दिखाया जाना चाहिए। पनामा केस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उसने दुनिया के ताकतवर लोगों के नाम को उजागर करने का साहस दिखाया। ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि उसके पास अपनी जॉर्नलिस्टों की अच्छी आर्गेनाइजेशन थी। आर्गेनाइजेशन की ताकत के बदौलत ही ये संभव हो सका। इसलिए आपका नेटवर्क होना बहुत जरूरी है। स्वाति भट्टाचार्य ने कहा कि आजादी के सत्तर साल बीतने के बाद “मी टू” का अभियान चल सका। अपनी बात बोलने के लिए महिलओं को इतने वर्ष लग गए। एक अच्छा जॉर्नलिस्ट बनने के लिए सिर्फ अच्छा लिखना ही नहीं होता है, बल्कि खुद से सवाल करना भी होता है।
एक्टिविस्ट निवेदिता झा ने कहा कि देश का वर्तमान माहौल ठीक नहीं है। आज दुनिया में सबसे ज्यादा स्पेस की कमी हो गई है। निवेदिता झा ने कहा कि आपको पता भी नहीं चलेगा और आप पर देशद्रोह का मुकदमा दायर हो जाएगा। आपको अब बोलने से पहले सौ बार सोचना होगा। उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार पर चार्जशीट कर दिया गया है जो कि बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आज किस तरह के देश में जी रहे हैं हम। जहां खुलकर बोलने पर भी पाबंदी लगाई जा रही है। असहमत होने पर भी अपनी बात रखने का हक़ सबको मिलना चाहिए। हम संघर्षों, नाटकों और लेखनी के तमाम विधाओं में विश्वाश करते हैं। 2017 में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर गंभीर हमले हुए। लगभग हर क्षेत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमले हो रहे हैं। गौरी लंकेश समेत 11 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। ये सारे पत्रकार झूठी खबरों का पर्दाफाश कर रहे थे। पूरी दुनिया में पत्रकारों पर हमले में बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ पत्रकार ही नहीं, रंगकर्मी, एक्टिविस्ट भी गिरफ्तार हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से अब तक सैंकड़ो पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है।
मानस दुबे