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मौसम की तरह बदलने लगी बिहार की राजनीति  

पटना : लालू प्रसाद यादव से रिम्स में मिलने के बाद राजद नेताओं के रणनीतिकारों के बोल बदलने लगे हैं। वहीं बाढ़ राहत समीक्षा के दौरान दरभंगा के अलीनगर स्थित अब्दूल बारी सिद्दीकी  के अवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गुपचुप मुलाकात के बाद जदयू के भी बोल बदलने लगे हैं। दोनों पार्टियों के बदल रहे बोल से राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले भाजपा-जदयू गठबंधन को लेकर गांठे कमज़ोर होने की बात करने लगे हैं।

पवन वर्मा के बोल से गठबंधन पर संशय

प्रेक्षकों का कहना है कि बीते लोकसभा चुनाव एक ऐसा चुनाव रहा जब नेताओं और पार्टियों ने विधानसभा चुनाव की तैयारी भी साथ-साथ शुरू कर दी। लोकसभा में ऐतिहासिक पराजय का मुंह देखने के बाद राजद नई संभावनाओं पर विचार करने लगा। लालू विरोध व जंगलराज के विरोध में आग उगलने के बाद सत्ता के शीर्श पर काबिज नीतीश सरकार आश्चर्यजनक तरीके से राजद को गले लगा चुका है। ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि नीतीश कुमार पलटी नहीं मारेंगे।

कल नीतीश कुमार के अत्यंत करीबी व जदयू के नीतिकार पवन वर्मा के ये बोल कि -विधानसभा चुनाव में हमारी राह अलग भी सकती है। ये संकेत देता है कि गठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। राजद के वरिष्ठ नेता सिद्दीकी से मिलने के बाद नीतीश कुमार ने बाढ़ राहत कार्य व समीक्षा में भी भाजपा के नेताओं को अलग रखा है। और तो और, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जैसे दिगगज नेता को भी अलग से समीक्षा बैठक करने को मजबूर कर दिया है।

मोदी की बैठक में नहीं हिस्सा लिए जद-यू के एमएलए-मिनिस्टर

इस संबंध में पूछने पर जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने बताया कि कोई जरूरी नहीं कि मुख्यमंत्री किसी मंत्री अथवा नेता को साथ लेकर ही समीक्षा करें। यह पूछने पर कि क्या कोई जदयू से जुड़े मंत्रियों को मेसेज दिया गया है कि वे उपमुख्यमंत्री की बैठक में हिस्सा नहीं लें। संजय सिह ने कहा-नहीं। ऐसी कोई सूचना उन्हें नहीं है।

सनद रहे कि अभी हाल ही में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जब बाढ़ समीक्षा में मधुबनी पहुंचे तब उन्हें न तो जदयू का कोई मंत्री मिला न ही विधायक व विधान पार्षद। जबकि नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले जल संसाधन मंत्री सहित तीन मंत्री अपने गृह जिला में ही मौजूद थे। प्रोटोकॅाल के तहत उन्हें खबर भी दी गयी थी। पर, वे तीनों शरीक नहीं हुए हुए विधायकों ने भी जुर्रत दिखायी। खैर! उन्होंने समीक्षा बैठक कर आवश्यक निर्देश दे वापस पटना आगए।

रिम्स से लौटने के बाद बाबा के बदले बोल

रांची स्थित रिम्स से लालू प्रसाद से मिलकर वापस लौटे शिवानन्द तिवारी के भी बोल बदल गये हैं। आजकल अक्सर चुप रहने वाले तिवारीजी ने यह कह कर सबको सन्नाटे में डाल दिया कि उनकी पार्टी भाजपा-जदयू गठबंधन की गतिविधियों पर नजर रखी हुई हैं। उनके इस बोल के कई मायने लगाए जा रहे हैं। एक तो उन्हें सिद्दीकी के घर जाकर नीतीश कुमार के भोजन करने को कनेक्ट कर के देखा जा रहा है, दूसरा यह कि क्या कहीं फिर गठबंधन में कुछ गड़बड़ होगा। इस संबगंध में एक प्रेक्षक कहते हैं-होने को कुछ भी हो सकता है। राजनीति संभावनाओं का गेम है।

क्या गेम चेंज करने के मूड में हैं दिग्गज

सवाल उठता है कि बिहार के गठबंधन के दिग्गज गेमचेंज करने के मूड में हैं। अगर नहीं तो दूसरों को असहज और आश्चर्यजनक कदम क्यों उठाये जा रहे। इस संबंध में एक प्रेक्षक कहते हैं कि यह राजनीति है। सिद्दीकी के घर जाकर मुख्यमंत्री का खाना खाने का एक अर्थ यह भी है कि वे भाजपा पर दबाव डालना चाहते हैं। इसके दूसरे अर्थ भी हो सकते हैं क्योंकि दिग्गजों द्वारा उठाये गये कदम यूं ही नहीं होते।