सारण/डोरीगंज : ऐतिहासिक पुरास्थल चिरांद के निकट गंगा, सरयू और सोन नदियों का संगम आज माघ मास की मौनी अमावस्या पर हजारों लोगों के चहल—पहल से गुलजार रहा। इस मौके पर यहां मेले में ग्रामीण संस्कृति के साथ आध्यात्मिक उत्साह की उमंग भी प्रकट हुई। बिहार में तीन नदियों के संगम पर आज उपस्थित हुआ यह सारा दृश्य कुंभ मेले के माहौल को सजीव करने वाला प्रतीत हो रहा था।
इस मौके पर शैव, वैष्णव, शाक्त आदि संप्रदायों के विद्वानों और मनिषियों ने भी चिरांद के इस पौराणिक संगम स्थल का दर्शन लाभ किया। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने भी यहां कई रेवड़ियां और स्टाल लगाए जिसपर लोगों ने खूब खरीदारी भी की।
चिरांद विकास परिषद के सौजन्य से आयोजित बिहार के इस लघु कुंभ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि गंगा, सरयू और सोन का यह संगम प्राचीन काल से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रखता है। कालांतर में हमलोगों ने इसके महत्व पर ध्यान नहीं दिया जिससे बिहार का यह संगम स्थल उपेक्षित होता चला गया। लेकिन अब चिरांद विकास परिषद ने यहां हर साल सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से इसके पुनरुत्थान का संकल्प लिया है। इसके तहत इस संगम स्थल को एक कुंभ मेले के तौर पर हर साल लगने वाले सांस्कृतिक—सामाजिक केंद्र के रूप में उभारने का बीड़ा उठाया है। आज से इसी पहल की शुरूआत माघ—मौनी मेले के तौर पर की गई है।