राजनीतिक स्वार्थ के लिए पुरखों पर सवाल उठाना उचित नहीं
पटना : श्री राम को लेकर जीतन राम मांझी द्वारा दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं। उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत नहीं करनी चाहिए। जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए।
सुमो ने कहा कि श्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुई। जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं। यह कहना हास्यास्पद ही है कि कोई स्वयं को शबरी का पुत्र बताये, लेकिन माता शबरी ने जिनकी भक्ति से संत समाज में अक्षय कीर्ति पायी, उस महानायक श्रीराम को ही काल्पनिक बता दे। आस्था पर चोट और समाज को बाँटने की ऐसी ओछी राजनीति कभी सफल नहीं होगी।
ज्ञातव्य हो कि हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने राम को लेकर कहा था कि ‘हम तुलीदास जी को मानते हैं, वाल्मीकि जी को मानते हैं। लेकिन राम को हम नहीं मानते, लेकिन आप यदि कहते हैं तो हम राम को मानते हैं। राम हमारी मां सबरी, जिसको हम कहते हैं, देखा नहीं था, कहानी है। राम ने सबरी का झूठा खाए थे, आज हमारा छुआ हुआ तो खाइए आप, आप आज हमारा छुआ हुआ नहीं खाते हैं और राम की बात करते हैं आप। अपना हित में बड़े लोग हम लोगों को बांट दिया है, शासन करने के लिए।