पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 20 अगस्त को हम पार्टी की कोर कमिटी की बैठक बुलाई थी। कोर कमिटी की बैठक में हम सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने बड़ा फैसला लेते हुए खुद की पार्टी को महागठबंधन से अलग कर लिया था, इसके बाद से मांझी के NDA में जाने की चर्चा तेज हो गई थी। मांझी 3 सितम्बर को एनडीए में शामिल होने वाले थे, लेकिन किसी कारणवश वे आज ही एनडीए में जाने की घोषणा कर दिए। इसके साथ ही एनडीए में अब 4 दल हो चुके हैं, भाजपा, जदयू, लोजपा और हम।
एनडीए में जाने को लेकर मांझी ने आज प्रेसवार्ता कर कहा कि जदयू के साथ जाऊंगा लेकिन, जदयू में पार्टी का विलय नहीं होगा। एनडीए के साथ सहयोगी की भूमिका में रहूंगा। लेकिन, मुझे नीतीश कुमार ज्यादा पसंद हैं। मांझी ने कहा कि हमारी कोई शर्त नहीं है तथा सीट लेने को लेकर भी कोई शर्त नहीं है। सीट बंटवारा हो या अन्य कोई मुद्दे उस पर समझौते के हिसाब से काम होगा। मांझी ने कहा कि बिहार में एनडीए की फिर से सरकार बने, इसके लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दूंगा। जदयू के साथ जाना मेरे लिए अमृत पीने जैसा है।
मांझी ने राजद पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि राजद में भाई भतीजावाद और करप्शन है। राजद ने मेरे बेटे को एमएलसी बनाकर कोई एहसान नहीं किया है। आखिर हम महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव के कहने पर शामिल हुए थे। लालू यादव के बेटे की तरह मेरा बेटा आठवीं पास नहीं है। मेरा बेटा एमए पास है।
मांझी ने त्याग की भावना दिखाते हुए कहा कि मेरी सोच है कि 75 वर्ष के बाद राजनेताओं को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। मेरी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है इसलिए मेरा व्यक्तिगत मानना है कि संभवतः मैं 80 %चुनाव नहीं लड़ूँ, लेकिन सहयोगी दलों का जैसा विचार होगा वैसा किया जाएगा।
मालूम हो कि महागठबंधन से अलग होने का कारण बताते हुए जीतन राम मांझी ने कहा था कि बहुत आरजू व मिन्नतें कर ली, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। राहुल गांधी और उपेंद्र कुशवाहा के कहने के बावजूद कोआर्डिनेशन कमिटि नहीं बनी। पता नहीं किसके दवाब में तेजस्वी यादव यह निर्णय ले रहे हैं। जिस गठबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व नहीं, वहां रहने का कोई फायदा नहीं है। गठबंधन को लेकर जो भी फैसला होगा वो मान्य है।