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महाराष्ट्र : यूँ बनेगी फडणवीस सरकार !

महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आने के बाद से ही भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने सामने 50 : 50 के फॉर्मूले को लेकर सरकार का गठन नहीं होने दे रही है। शिवसेना का कहना है कि उसे सत्ता में बरारबर की हिस्सेदारी चाहिए। सरल शब्दों में कहा जाए तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ढाई साल भाजपा का कब्जा होगा और ढाई साल शिवसेना का तथा मंत्रालयों का बंटवारा भी बराबरी का होगा। मालूम हो कि इस बार चुनाव परिणाम आने के बाद महारष्ट्र के विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हालांकि भाजपा को 2014 के मुकाबले काम सीटें आयी है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 तथा अन्य को 29 सीटें मिली है। जबकि बहुमत के लिए चाहिए 145 सीटें। लेकिन, भाजपा व शिवसेना का गठबंधन को 161 सीटें मिली जो कि बहुत से ज्यादा है। लेकिन कुर्सी को लेकर पेंच अभी तक फंसा हुआ है।

मैं ही बनूँगा मुख्यमंत्री

बीते दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री मैं ही बनूँगा और अगले 5 साल का कार्यकाल भी पूरा करूंगा। जिसके बाद से यह तय मन जा रहा है कि भाजपा किसी भी कीमत पर शिवसेना के साथ समझौता करने के मूड में नहीं है। मालूम हो कि देवेंद्र फडणवीस बीते 40 सालों में महाराष्ट्र के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो 5 साल का कार्यकाल पूरा किए हैं।

आलाकमान कराएगी बेड़ा पार ?

फडणवीस के बयान के बाद यह कहा जा रहा है कि भाजपा 2014 की तरह प्रदेश में एकबार फिर अल्पमत की सरकार बना सकती है। दरअसल 2014 में ऐसा हुआ था कि महाराष्ट्र में 122 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन बहुमत से ऐसे में सरकार बनाने को लेकर बहुत चुनौतियां भाजपा के सामने थी। लेकिन, भाजपा आलाकमान ने चतुरता दिखाते हुए एनसीपी को बहुमत परिक्षण के समय सदन से वाकआउट करवाने में सफल रही और सदन में विधायकों की संख्यां 247 बच गई और बहुमत के लिए चाहिए था 124, भाजपा के पास संख्या थी 122 ऐसे में कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से भाजपा ने प्रदेश में सरकार बना ली और बाद में भाजपा को शिवसेना का समर्थन भी मिल गया और एनडीए की 5 साल की पूर्ण बहुमत वाली सरकार भी चलीं।

तो क्या एनसीपी फिर सदन से वाकआउट करेगी ?

अगर शिवसेना के रूख में नरमी नहीं आती है तो ईडी के चंगुल से अजीत पवार को बचाने के लिए एनसीपी एक बार फिर सदन से वाकआउट कर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवा सकती है। क्योंकि 54 विधायकों वाली एनसीपी अगर सदन से वाकआउट कर जाती है तो सदन में विधायकों की संख्या रह जायेगी 234 और बहुमत के लिए चाहिए 118 ऐसी स्थिति में 105 विधायक भाजपा के और बुधवार की दोपहर तक भाजपा को 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल चुका है। और अल्पमत में बहुमत के जादुई आंकड़ों को भाजपा आसानी से प्राप्त कर सकती है।

शिवसेना भी बना सकती है सरकार

अगर शिवसेना पहल करती है तो ठाकरे परिवार का पहला व्यक्ति महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बन सकता है। क्योंकि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए एनसीपी और कांग्रेस बहार से शिवसेना को समर्थन दे सकती हैं। शिवसेना 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस 44 कुल मिलाकर 154 बहुमत के लिए 145 से 9 ज्यादा लेकिन, शिवसेना के तरफ अभी तक यही कहा जा रहा है कि हमारे पास विकल्प भी है लेकिन, हम ऐसा पाप नहीं करेंगे।

भाजपा चाहती है 1995 वाला फार्मूला

1995 में यह तय हुआ था कि जिस पार्टी के ज्यादा विधायक होंगे उस पार्टी का व्यक्ति मुख्यमंत्री होगा और जिसके कम विधायक होंगे उस पार्टी का व्यक्ति उपमुख्यमंत्री होगा और मंत्रालय भी उसी अनुसार मिलेगा। इस फॉर्मूले के कारण 1995 में शिवसेना को ज्यादा सीटें आयी थी और शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे बाद में शिवसेना के नारायण राणे मुख्यमंत्री बने थे। कम सीटें लाने वाली भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने थे।