पटना : सूबे में डेंगू की समस्या एक महामारी की तरह फैल रही है। वहीं पटना के प्रतिष्ठित आईजीआईएमएस के मेडिकल अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल का कहना है कि डेंगू फैलने की हवा बनाई जा रही है। यह एक बुखार मात्र है जिसे पेरासिटामोल जैसी एंटीबायोटिक्स दवा और शरीर मे उचित मात्रा में पानी का स्तर बरकरार रखकर खत्म किया जा सकता है।
श्री मंडल ने कहा कि आईजीआईएमएस में मूल रूप से कोई डेंगू वार्ड नहीं बनाया गया पर आकस्मिक सेवाएं गुणवत्तापूर्ण तरीके से दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि हेमोरेजिक डेंगू की वजह से प्लेटलेट्स में कमी जैसी समस्या आती है। वैसी स्थिति में जब प्लेटलेट्स 30000 के नीचे आ जाए, तो प्लेटलेटस चढ़ाया जाता है और मरीज को भर्ती किया जाता है।
आईजीआईएमएस के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती डेंगू की एकमात्र मरीज रीमा देवी के परिजन बताते हैं कि व्यवस्थाएं चाक-चौकस हैं, बस फी ज्यादा है। शनिवार को भर्ती हुई रीमा देवी गोपालगंज की हैं। हालांकि उनका डेंगू प्लेटलेट्स आकस्मिक भर्ती जैसा तो नहीं पर हाई शुगर लेवल की वजह से उनकी स्थिति बेहद नाजुक है और इसलिए उन्हें भर्ती ले लिया गया।
पटना के सभी अस्पताल जहां डेंगू के लिए मरीज कतारबद्ध दिखते हैं वहीं आईजीआईएमएस अकास्मिकी में इलाज हो रहा है। ऐसे में फर्स्ट स्टेज में डेंगू को समाप्त करने के लिए सामान्य उपाय ही कारगर होगा, ऐसा बढ़ते डेंगू मरीजों को देख कर तो नहीं लगता। खासकर तब जब गंदगी की वजह से होने वाले इस रोग का इलाज देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक पटना में हो।
एक ओर जहां पीएमसीएच जैसे सरकारी अस्पताल डेंगू को ले कर अलर्ट पर हैं और ज्यादा से ज्यादा इलाज के लिए शिविर के माध्यम से रोग का निवारण करने की पहल कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आइजीआइएमएस का ये रुख संवेदनशील तो नहीं जान पड़ता।
सत्यम दुबे