मधुबनी में पंचायत ने मानी पीएम की सीख! जानें, क्यों लगाईं बंदिशें?
मधुबनी : पिछले दिनों प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में एक मां ने अपने बेटे की वीडियो गेम को लेकर बिगड़ी आदतों का समाधान पूछा था। प्रधानमंत्री ने तब कहा था कि ग्लोबल वर्ल्ड में नई तकनीक से हम आंख नहीं मूंद सकते, लेकिन इसके बेलगाम इस्तेमाल पर लगाम बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री की यह सीख बिहार के मधुबनी जिले की एक पंचायत ने बखूबी समझा और फरमान जारी किया कि उनके पंचायत में कुंवारी लड़कियां मोबाइल नहीं रख सकतीं। हालांकि इस फरमान के बाद प्रदेश भर में बवाल खड़ा हो गया। मीडिया ने भी पंचायत के इस कदम को अपने—अपने नजरिये से देखा।
पंचायत ने क्या फरमान जारी किया
बिहार जैसे पिछड़े राज्य का मधुबनी जिलांतर्गत बासोपट्टी प्रखंड का हत्थारपुर परसा पंचायत के लोग युवाओं खासकर गांव के स्कूली छात्र—छात्राओं द्वारा इंटरनेट के प्रति दीवानगी से तंग आ चुके थे। इंटरनेट पर अच्छी—बुरी, हर तरह की सामग्री मौजूद है। ऐसे में ग्रामीणों की समझ में नहीं आ रहा था कि वे अपने बच्चों को कैसे इस भंवर से संभालें। ऐसे में पंचायत हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि गांव की कोई लड़की मोबाइल पर बात नहीं करेगी। साथ ही वह शाम से पहले घर लौट आएगी। पंचायत में यह भी आदेश दिया गया कि गांव की कोई भी लड़की या महिला शाम 8 बजे के बाद खेतों में शौच के लिए नहीं जाएंगी।
मीडिया का रुख नकारात्मक, त्रस्त हैं मां—बाप
21वीं सदी में पंचायत के इस फरमान को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में हड़कंप मच गया। कुछ लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी, तो बाकियों ने इसे अपनी ग्रामीण संस्कृति और बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए जरूरी बताया।
इंटरनेट और तकनीक के दुष्परिणामों से बचाव
सरपंच योगेंद्र मंडल ने बताया कि सभी लोगों के मत से यह निर्णय लिया गया है। यदि जरूरी हुआ तो बेटियां परिवार के किसी सदस्य की मौजूदगी में बात कर सकती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पंचायत ने यह फैसला किसी हिटलरशाही मानसिकता से लिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य को देखते हुए लिया गया है। अभी बच्चों की उम्र कच्ची है। वे अच्छे—बुरे का फर्क नहीं समझ पाते। इसलिए हमने यह निर्णय किया कि जब तक वे समझदार नहीं हो जाते, उन्हें कुछ अच्छी बंदिशें माननी चाहिए।
क्या कहते हैं सरपंच और मुखिया
पंचायत फैसला किया है कि यदि किसी ने इस सामूहिक फैसले का उल्लंघन किया तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा और उसपर जुर्माना लगाया जाएगा। गांव के पूर्व मुखिया संयोग लाल यादव ने कहा, ‘कई महिलाओं और परिवारवालों ने यह शिकायत की थी कि उनके बच्चे बहुत देर तक मोबाइल देखते हैं या किसी से बात करते हैं। मोबाइल के कारण बच्चे बुरी आदतों और अपराध का भी शिकार हो सकते हैं। ऐसे में यह कदम उचित है। पंचायत ने अभी सभी परिवारों के मुखिया पर यह जिम्मेदारी डाली है कि वे यह तय करेंगे कि सभी नियम का पालन करें।
सकारात्मक पक्ष पर भी घ्यान देना जरूरी
बहरहाल, मीडिया ने पंचायत के इस कदम को नकारात्म रूप से पेश किया। लेकिन यहां प्रधानमंत्री की चेतावनी को भी ध्यान में रखना जरूरी है कि अधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सही दिशा में करना सुनिश्चित किये बिना इसे इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में समाज में शांति और सद्भाव को बनाए रखने के लिए अगर मधुबनी जिले की एक पंचायत अपने स्तर पर कुछ सही फैसले करती है तो हमें उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।