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LJP टूट : सामने आए सौरव पांडेय, कहा- जिसने मेहनत देखी, वे अब हैं नहीं

पटना : लोक जनशक्ति पार्टी ( लोजपा) में सियासी घमासान मची हुई है। एक तरफ जहां पशुपति कुमार पारस गुट ने अपनी दावेदारी मजबूत की है तो वहीं दूसरी तरफ चिराग पासवान ने भी खेमा ने भी पारस गुट को झूठा गुट बताकर उन पर हमला बोला है। वहीं इन सबके के बीच पारस लगातार कहीं जा रही बात की लोजपा में टूट की वजह सौरभ पांडे हैं। अब वह अपने ऊपर लग रहे आरोप को लेकर ट्वीटर पर एक पत्र सार्वजनिक की है।

मालूम हो कि अलग पारस खेमे के कई नेताओं ने आरोप लगाया कि सौरभ पांडेय ने चिराग का बेड़ागर्क कर दिया है। सौरभ पांडेय जिस तरह पार्टी को डिक्टेट कर रहे थे। उसकी वजह से लोजपा में आक्रोश फैला है। हालांकि जिस वक्त लोजपा संसदीय दल में बगावत हुई। उस वक्त सौरभ पांडेय दिल्ली में मौजूद नहीं थे। लेकिन अगले ही दिन वह दिल्ली पहुंचे और तब से लगातार चिराग पासवान के साथ हैं।

वहीं अब इस पूरे घटनाक्रम के बीच सौरभ पांडेय ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। सौरभ पांडेय पहली बार इस प्रकरण के बाद ट्विटर पर एक्टिव हुए हैं और उन्होंने स्व. रामविलास पासवान की एक पुरानी चिट्ठी को साझा किया है।

सौरभ पांडेय ने खत साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा है कि जिसने मेहनत देखी है अब वह हैं नहीं, जिसने पार्टी को आगे बढ़ाने की जिद देखी है अब वह हैं नहीं.. आइए हम सब चिराग के नेतृत्व में चलें।

दरअसल सौरभ पांडे ने रामविलास पासवान का जो पुराना पत्र साझा किया है वह 1 जनवरी 2020 को उनके लिए लिखा गया था। इस पत्र में रामविलास पासवान ने चिराग की राजनीतिक उपलब्धि के लिए सौरभ की जमकर सराहना की थी।

रामविलास ने सौरव पांडेय को लेकर लिखा था पत्र

दरअसल, रामविलास पासवान ने इस पत्र में लिखा था कि सौरव पांडेय के सहयोग से चिराग सांसद, राष्ट्रीय अध्यक्ष और सदन में नेता है। आज देश के बड़े लोगों में चिराग का स्थान है। साल 2013 में चिराग राजनीति में आया और कम समय में शिखर पर पहुंच गया। रामविलास पासवान के खत में लिखा गया है कि चिराग और सौरव ने पिछले कुछ सालों में काफी मेहनत की है। यह उसी का परिणाम है लेकिन सौरव मंजिल अभी दूर है जो लक्ष्य है पहला बिहार और फिर देश।

गौरतलब है कि रामविलास पासवान के इस पुराने खत के जरिए सौरव ना केवल अपने विरोधियों को जवाब दे रहे हैं बल्कि अभी बता रहे हैं कि पार्टी का भविष्य केवल चिराग के साथ हैं न की पशुपति पारस के साथ।