मौलवी की तरह पुजारी को भी मानदेय देने की उठी मांग, मंत्री ने कहा सरकार इस ओर भी दे ध्यान
पटना : लाउडस्पीकर पर अजान और हनुमान चालीसा के विवाद के बीच बिहार में अब मौलवी की तरह पुजारी को भी मानेदय देने की मांग पर सियासत गरमा गई है।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी कोटे से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने अब पुजारी और मौलवी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जब मस्जिदों में नमाज पढ़ाने वाले मौलवी और मोअज्जिन अजान देने वालों को पांच से 18 हजार रुपये तक प्रति माह मानदेय देने की व्यवस्था बनाई गई है तो मंदिरों के पुजारियों के लिए भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं, मंत्री के इस बयान का भाजपा के कई नेताओं के तरफ से समर्थन किया गया है।
मंत्री ने जनकारी देते हुए कहा कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में करीब चार हजार मंदिर निबंधित हैं और इतने ही प्रक्रियाधीन हैं। इनके पुजारियों को सरकार के तरफ से तो मानदेय देने की व्यवस्था नहीं है। इन्हें वेतन या मानदेय दिया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी निबंधित मंदिर की कमेटी को मंदिर की आमदनी से एक निश्चित राशि मंदिर के पुजारी को देनी चाहिए।
गौरतलब हो कि, बिहार में ज्यादातर मस्जिदों के लिए मानदेय की व्यवस्था सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की है, जिनको हर साल करीब तीन करोड़ रुपये का अनुदान बिहार सरकार देती है। इससे सुन्नी वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन आदि दिए जाते हैं। वहीं, इसके अलावा वैसे मस्जिदों में जहां दुकान या अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं या फिर कोई दान मिलता है, वहां से मौलवी के लिए मानदेय की व्यवस्था की जाती है।