खतरे में बाहुबली अनंत की विधायकी,21 जून को होगा अहम फैसला
पटना : राजद नेता और मोकामा विधानसभा क्षेत्र के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की विधायकी की खतरे में पड़ गई है।दरअसल, मगंलवार को जब कोर्ट ने एके 47 मामले में राजद विधायक को दोषी करार दिया और यह कहा गया है कि आने वाले 21 जून को इस मामले में सजा सुनाई जाएगी, तभी से मोकामा विधायक की विधायकी की खतरे में पड़ गई है।
बता दें कि, मोकामा विधायक अनंत सिंह के पुश्तैनी घर बाढ़ के नदावा से एके 47 बरामद हुई है, जिसके बाद इनपर आईपीसी के साथ आर्म्स एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा लगाई गई है। इन धाराओं के कारण मोकामा विधायक पर कम से कम 7 साल की सजा या उम्र कैद सुनाई जा सकती है। इस कारण कहा जा रहा है कि विधायक अनंत सिंह की विधायकी के खतरे में पड़ गई है।
बता दें कि, किसी भी विधायक को अगर 2 साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो फिर उन्हें अपना विधायक की पद छोड़ना पड़ता है। आनंद सिंह लगातार पांचवीं बार मोकामा से विधायक चुने गए हैं अनंत सिंह वर्ष 2005 में जब जदयू के सिंबल पर चुनाव लड़े थे और वह लगातार तीन बार जदयू के ही सिंबल पर चुनाव जीत कर आए थे।
2015 में जदयू से निष्कासित
लेकिन, 2015 में पुटूस यादव की हत्या में विधायक अनंत सिंह का नाम सामने आया था तो इसके बाद जदयू ने उन्हें अपने पार्टी से निष्कासित कर दिया, हालांकि विधायक अनंत सिंह को कोर्ट से इस मामले में क्लीन चिट भी मिल गई। इसके बाद अनंत सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। फिर 2020 में राजद ने मोकामा से अनंत सिंह को अपना टिकट दिया और उन्होंने जदयू के राजीव लोचन को 35000 वोटों से परास्त कर लगातार पांचवीं बार विधायकी का चुनाव जीता।
ये है इस सीट का इतिहास
बता दें कि, मोकामा विधानसभा सीट का अधिकतर हिस्सा ग्रामीण इलाका है। यहां भूमिहार समाज निर्णायक वोटर हैं। इसलिए यहां चाहे जिस पार्टी का प्रत्याशी जीत दर्ज करे, लेकिन वह भूमिहार ही होता है। 1990 से 2000 तक यहां से अनंत सिंह भाई दिलीप सिंह विधायक रहे। दिलीप सिंह लालू प्रसाद यादव की कैबिनेट में मंत्री भी रहे। वहीं, साल 2000 में नीतीश कुमार के समर्थन से निर्दलीय बाहुबली सूरजभान सिंह जेल में रहते हुए चुनाव में उतरे और जीते। इसके बाद 2005 से अबतक अनंत सिंह का इस सीट पर कब्जा है।
इस विधानसभा सीट के बारे में कहा यह जाता है कि, यह सीट आजादी के बाद से ही बिहार की सत्ता की कुर्सी तय करने में निर्णायक भूमिका निभाती रही है। विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं एक बार उपचुनाव हुआ है। 1972 और 1977 में यहां से उस दौर के भूमिहारों के बड़े नेता कृष्णा साही दो बार चुनाव जीते। इसके बाद श्याम सुंदर सिंह 1980 और 1985 में फिर वर्तमान विधायक के बड़े भाई दिलीप सिंह का दौर आया।