PU में नड्डा के विरोध में वामपंथी छात्रों की नारेबाजी, पूछी वजह तो भाग खड़े हुए

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पटना : भारत ही नहीं विश्व के सबसे बडे़ राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का पटना विश्वविद्यालय से काफी भावनात्मक लगाव है। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय परिसर में ही शिशु, बालक और तरुण के एक युवा का समय के रूप में विकसित हुए हैं।

यहीं कारण है कि जेपी नड्डा जब भी पटना आते हैं तो पटना विश्वविद्यालय परिसर किसी न किसी बहाने अवश्य पहुंचते हैं। इसी कड़ी में पटना कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र नड्डा आज यानी शनिवार की शाम जब तक कार्यक्रम के बहाने वहां पहुंचे तो आवारा किस्म के कुछ छात्रों ने उनके खिलाफ GO BACK के नारे लगाने शुरू कर दिया। यह छात्र खुद को एक वामपंथी छात्र संगठन का नेता बता रहे थे। लेकिन उसी क्षण जब कुछ छात्रों और शिक्षकों ने उनका कड़ा विरोध किया तो वो वहां से भाग खड़ा हुए।

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इनका काम ही मात्र विरोध करना

बता दें कि, नड्डा इन दिनों न तो केंद्र और न ही राज्य के मंत्रिमंडल में शामिल है, लेकिन इसके बाबजूद यह विरोध देख पटना कॉलेज के शिक्षक और छात्र हतप्रभ थे। वहीं, विरोध करने वाले इन छात्र को लेकर पटना विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों का कहना है कि यह सभी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बावजूद पिछले कई वर्षों से पटना विश्वविद्यालय के हॉस्टल पर कब्जा कर रह रहे हैं। इनका काम इसी तरह आए दिन किसी न किसी का विरोध करना ही है।
हालंकि, आज जब इन वामपंथियों का विरोध शुरू हुआ तो दक्षिणपंथी विचारधारा के ABVP के छात्र आगे आकर उनसे विरोध का कारण जानना चाहा तो वो लोग भाग खड़े हुए। इस दौरान इन तथाकथित छात्र नेताओं को पुलिस के डंडे का भी सामना करना पड़ा।

जानलेवा हमले करने की कोशिश

वहीं, जब हमने इस मामले को लेकर पटना विश्वविद्यालय के कुछ पुराने छात्र नेताओं ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए तो उन्होंने कहा कि सही मायने में वामपंथी छात्र संगठनों द्वारा जेपी नड्डा पर जानलेवा हमले करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन वह अपना विरोध देख इसमें सफल नहीं हो पाए। हकीकत है कि उनके पास विरोध करने कोई मुद्दा नहीं बचा तो इस तरह के कार्यों का अंजाम दे रहे हैं।

गौरतलब हो कि, जेपी नड्डा ने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पटना कॉलेज से ही की है। वह 1980 के दशक में यहीं से ग्रेजुएट भी हुए हैं। इसके बाद ही वह 16 साल की उम्र में जेपी आंदोलन से जुड़ गया और इसी के साथ उनका सीधा वास्ता छात्र राजनीति से पड़ा इसी को याद करने वह पटना विश्वविद्यालय परिसर भी गए थे यहां वह अपने पुराने दिनों को याद करने और यहां की व्यवस्था को देखने के लिए गए थे लेकिन यहां कुछ लोगों ने उनका विरोध किया हालांकि इस विरोध का उन पर कोई खासा प्रभाव नहीं पड़ा है।

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