लेफ्ट पार्टी के हाई डिमांड और बदल गया महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फार्मूला

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पटना: विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। फिलहाल बिहार में टिकट के दावेदारों से लेकर गठबंधन दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर काफी माथापच्ची देखने को मिल रही है।

बिहार जिसे राजनीति का प्रयोगशाला कहा जाता है, क्योंकि सामाजिक विविधता, गरीबी, जाति आधारित राजनीति व राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण यहां राष्ट्रीय पार्टी की तुलना में क्षेत्रीय पार्टी का दबदबा कहीं ज्यादा है। बिहार की सभी क्षेत्रीय पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन है। इसको लेकर चुनाव के समय में सीट शेयरिंग को लेकर काफी माथापच्ची देखने को मिलता है।

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सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में कई दिनों से मंथन जारी है। लेकिन, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो महागठबंधन के अंदर सीटों को लेकर बातचीत लगभग तय हो गई है। सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन के सूत्रों का कहना है कि सभी घटक दलों के बीच सीटों को लेकर लगभग सहमति बन गई है।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के बड़े नेताओं ने महागठबंधन के सहयोगी दलों के बड़े नेताओं से सीट शेयरिंग को लेकर टेलीफोन से बात की है। इस क्रम में तेजस्वी, उपेंद्र कुशवाहा व मुकेश सहनी से बात हुई है। बातचीत के दौरान काँग्रेस ने सहयोगी दलों से सीटों के मसले पर राय जानी है।

चुनाव को लेकर लेफ्ट पार्टी द्वारा 53 सीटों की मांग की गई है, जिससे कांग्रेस खुश नहीं है। कारण लेफ्ट पार्टी को जो भी सीटें दी जाएगी वह सीट कांग्रेस के खाते से ज्यादा कटेंगे। इस तरह ज्यादा डिमांड के बाद पहले से जो फार्मूला तय हुआ था, वह फार्मूला अब काम नहीं कर रहा है।

सीट शेयरिंग को लेकर यह बात सामने आई है कि मुकेश सहनी को राजद(RJD)कोटे से सीटें दी जाएगी। वहीं रालोसपा (RLSP) को 15 से 18 सीट दिए जाने की चर्चा है। बता दें कि कांग्रेस की भावना जानने के बाद बीते कल उपेंद्र कुशवाहा मुलाकात करने राबड़ी व तेजस्वी के आवास पहुंचे थे।

इस बीच कांग्रेस को 60 से 70 सीट मिलने की संभावना है, वहीं सहनी को अपने कोटे से सीट देने की बात पर राजद 140 से 150 से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं है।

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