छपरा : राजेंद्र कॉलेज छपरा में आइक्यूएसी और अकादमिक मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आज “आत्माभिव्यक्ति और निराला की कविता” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन हुआ। व्याख्यान के वक्ता हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील कुमार पांडेय रहे। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव ने निराला को हिंदी साहित्य के एक उत्कृष्ट कवि के रूप में निरूपित करते हुए आज के दौर में उनकी कविताओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. सुनील पांडेय ने अपने वक्तव्य में निराला जी को एक जीजिविषायुक्त कवि के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि निराला जी बचपन से लेकर जीवन पर्यंत अत्यंत विपरीत परिस्थितियों से जूझते रहे। लेकिन कभी उन्होंने जिंदगी में हार स्वीकार नहीं की। गलत तरीके से अर्थसंचय और चापलूसी वाली जीवन शैली का उन्होंने कभी अनुसरण नहीं किया। उनके काव्य में जीवन की यंत्रणाएं, वेदनाएं, असफलताएं अभिव्यक्त हुई हैं। उन्होंने विशेष रूप से उनकी बहुचर्चित कविता “सरोज स्मृति” और “राम की शक्ति पूजा” के संदर्भ में अपनी बातें रखीं। सरोज स्मृति में जिस तरह उन्होंने अपनी 19 वर्षीया पुत्री के निधन उपरांत अपनी वेदना को उजागर किया है, उसी तरह “राम की शक्ति पूजा” कविता के संदर्भ में राम की निराशा एवं संघर्षशीलता के माध्यम से स्वयं के संघर्षों, निराशाओं और समस्याओं का रूपांकन किया है।
अंत में उन्होंने प्रसिद्ध आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा के कथन का उदाहरण लेते हुए निराला जी को एक उद्दाम जीजिविषा से संबंधित उत्कट शक्तिशाली कवि के रूप में प्रस्तुत किया। व्याख्यान के दौरान प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, डॉ. विधान चंद्र भारती, डॉ. पूनम, आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ. रवि प्रकाश नाथ त्रिपाठी, अकादमिक मंडल के सचिव डॉ. विशाल कुमार सिंह सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. ऋचा मिश्रा द्वारा किया गया।