Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट बिहारी समाज राजपाट

विधि मंत्री को नहीं मिली थी कोर्ट में पेश होने की नोटिस, मास्टर नामजद अभियुक्त नहीं

पटना : नीतीश सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार तो कर दिया , लेकिन इस मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार के कानून मंत्री को लेकर एक नया विवाद उत्पन हो गया है। बिहार सरकार के कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार अपहरण के एक मामले में फरार घोषित हैं। उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है। जिसको लेकर अब विधि मंत्री कार्तिकेय कुमार के अधिवक्ताओं ने पत्रकार वार्ता कर पुरे मामले की जानकारी दी है।

बिहार सरकार के कानून मंत्री कार्तिक कुमार के वकीलों ने कहा कि मंत्री कार्तिक सिंह के फरार होने की जो खबरें चल रही हैं वह बेबुनियाद है। भारतीय संविधान के तहत आपराधिक मुकदमे दो तरह से होते है। पहला मुकदमा जो पुलिस जांच में होता है और दूसरा मुकदमा मजिस्ट्रेट के यहां कंप्लेंन केस होता है। वकीलों ने कहा कि किसी भी प्राथमिकी में कार्तिक मास्टर नामजद अभियुक्त नहीं है। प्राथमिकी में सिर्फ यह कहा गया है कि कार्तिक मास्टर को रास्ते में देखा गया था।

कार्तिक मास्टर के खिलाफ कहीं से भी कोई साक्ष्य नहीं

वहीं, इसके अलावा पुलिसिया जांच में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरे मामले में कार्तिक मास्टर के खिलाफ कहीं से भी कोई साक्ष्य नहीं है। पुलिस के तरफ से 19/09/2818 को कार्तिक मास्टर को निर्दोष बताया दिया गया था। अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलीस से तरफ से कोर्ट में अंतिम पत्र समर्पित किया गया जिसमें उन्हें निर्दोष पाया गया है। उनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया गया था जिसमें फिलहाल स्टे मिल गया है।

वहीं, जब वकीलों से यह सवाल किया गया कि क्या कल यानी 16 अगस्त को कार्तिक मास्टर को कोर्ट में सशरीर पेश होना था या नहीं इस पर उन्होंने कहा कि न्यायालय से कोई भी ऐसी नोटिस नहीं मिली जिसमें यह बताया गया हो कि उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था। हालांकि,यदि मजिस्ट्रेट ने इस मामले में संज्ञान लिया है तो हम इसको लेकर जमानत की याचिका दाखिल कर चुके हैं।

2014 में राजीव रंजन को किया गया था अगवा

जानकारी के अनुसार 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया गया। यह भी बात सामने आई कि कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी। इसके बाद कार्तिकेय कुमार ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा है कि हलफनामा में सभी मंत्री, विधायक अपना डिटेल देते हैं। इसमें इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है। बाकी जो लोग बोलते हैं, उन्हें बोलने दीजिये।

गौरतलब हो कि, 16 अगस्त को नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ था। जिसमें राजद के 16, जदयू के 11, कांग्रेस के 2 और हम के एक और एक निर्दलीय विधायक मंत्री बने हैं। इस दौरान कार्तिकेय कुमार ने विधि मंत्री के तौर पर पद और गोपनियता की शपथ ली थी। जिनके खिलाफ कोर्ट में सरेंडर करने का वारंट जारी किए जाने की खबर सामने आई थी। जिसमें कोर्ट में सर्रेंडर करने की जगह उन्होंने कानून मंत्री के लिए शपथ ले ली।