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लालू से मिलेंगे हटाये जिलाध्यक्ष, कहीं आत्मघाती न हो उलटफेर?

पटना : राजद ने पटना छोड़ सभी जिलों के पार्टी अध्यक्ष की घोषणा कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद ने कहा कि जिलों में सामाजिक समरसता का पूरा ख्याल रखा गया है। नई सूची में 13 यादव एवं 12 मुस्लिमों को स्थान दिया गया है। सामाजिक समीकरण का दायरा बढ़ाते हुए दो राजपूत और एक भूमिहार जाति के समर्पित कार्यकर्ता को भी जगह दी गई है। लेकिन इसके साथ ही पार्टी में इसे लेकर विरोधी स्वर भी उठने लगे हैं। पार्टी के एक तबके का मानना है कि चुनावी साल में यह उलटफेर आत्मघाती हो सकता है। आइये जानते हैं कि ऐसा क्यों?

लालू नहीं थे फेवर में, मनाने में हुई देरी

दरअसल लालू भी पुरानी टीम के ही फेवर में थे। यही कारण है कि जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा होने में दो दिन की देरी हुई। लेकिन अंतिम समय में लालू तेजस्वी और जगदानंद की बात मान गए। नई सूची में पहली बार राजद के जिला संगठन में यादवों और मुस्लिमों की बहुलता को कम करते हुए अन्य वर्गों को जोडऩे का प्रयास किया गया है। एससी-एसटी वर्ग के आठ लोगों को कमान सौंपी गई है, जबकि अति पिछड़े वर्ग से 14 लोगों को शामिल किया गया है।

पुराने वफादारों को नापसंद नया फार्मूला

लालू के करीबी और पार्टी के पुराने नेताओं को तेजस्वी यादव का नया फार्मूला पसंद नहीं आया है। उनके अनुसार चुनावी साल में पार्टी के लिए यह कदम आत्मघाती भी साबित हो सकता है। जिन ज़िलाध्यक्षों को आउट किया गया है, उनकी न सिर्फ जमीनी पकड़ है, बल्कि अपने इलाके में वे काफी लोकप्रिय भी हैं।

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असर डाल सकते हैं हटाये गए जिलाध्यक्ष

इसके अलावा हटाये गए अधिकतर ज़िलाध्यक्ष यादव जाति से हैं। उनके पीछे राजद के भरोसेमंद वोटरों की बड़ी फौज भी है। लेकिन इस उलटफेर के बाद यादवों के बीच गलत मैसेज जा सकता है। उधर विरोधी भाजपा भी इस वोटबैंक पर नजरें जमाए हुए है। ऐसे में इस नए प्रयोग से राजद को भारी परेशानी का समना करना पड़ सकता है।

उधर नए जिलाध्यक्षों के लिए बूथ स्तर और क्षेत्रीय जातीय समीकरण को समझने में काफी वक्त लगेगा। यह चुनावी वर्ष है। ऐसे में जब तक उन्हें इस सबकी समझ होगी, तब तक चुनाव सिर पर आ चुका होगा। राजद के पुराने वफादारों का मानना है कि यदि यही करना था तो इसे और पहले कर लेना था। कहा यह भी जा रहा है कि अधिकांश हटाये गए जिलाध्यक्षों ने रांची में लालू से मिलने की तैयारी की है। अब देखना है कि राजद अपने पुराने वफादारों को कितना समेट पाता है।