राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ें लालू, सत्ता पक्ष द्वारा आसन को रौंदने की कोशिश

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पटना : पिछले दिनों यानी 10 अगस्त को नीतीश कुमार ने एनडीए से अपना महागठबंधन के साथ दलों का सहयोग लेकर नई सरकार का गठन किया। इसके बाद इस सरकार द्वारा बहुमत परीक्षण को लेकर बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया इस दौरान विधानमंडल के दोनों सदनों में सभापति और अध्यक्ष का चुनाव कर भी करवाया गया और यह नई सरकार बहुमत परीक्षण में सफल भी रही, इसके बाद भाजपा जो नेता मानसून सत्र के दौरान सत्ता की कुर्सी पर बैठे हुए नजर आ रहे थे अब वो लोग विपक्ष की कुर्सी पर बैठ गए और उन्होंने विजय कुमार सिन्हा को सदन में विपक्षी दलों का नेता मनोनीत किया।

सात निश्चय में करोड़ों का घोटाला

इधर विधानसभा अध्यक्ष के बाद नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आए विजय कुमार सिन्हा सरकार के खिलाफ अब खुलकर हमलावर होते हुए नजर आ रहे हैं। सिन्हा अपने पहले ही दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं। सिन्हा का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट जो सात निश्चय योजना है उसमें करोड़ों का घोटाला किया गया है। इसी कारण सरकार जानबूझकर विधानसभा की विशेष कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करना नहीं चाह रही है।

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इसके साथ ही उन्होंने राजद से अपील की है कि वह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को उनके पद से हटाए क्योंकि उनको कोर्ट ने दोषी करार दिया है ऐसे व्यक्ति को अपने दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया रखना सिर्फ और सिर्फ राजद द्वारा ही किया जा सकता है। इसलिए पहले राजद लालू प्रसाद को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाए फिर उनसे किसी भी प्रकार की बातचीत की जाएगी।

इसके अलावा सिन्हा ने कहा कि जिस समय वह अध्यक्ष है तो तो उस समय जिस कार्य सूची को नृत्य किया था उसे बदल दिया गया आज घोटाले की रिपोर्ट नहीं रखा गया है इससे सत्तापक्ष की ओर से आसान को रोंध दिया गया है लेकिन हमें नए आसन से उम्मीद है कि वह आसन की गरिमा को बरकरार रखेंगे।

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