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लालू की ‘बेल’ से फिर चल पड़ी महागठबंधन की ‘रेल’

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रांची हाईकोर्ट से चारा घोटाले के देवघर कोषागार मामले में जमानत मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में अचानक उत्साह बढ गया है। साथ ही बिहार की सियासी फिजा में भी बदलाव के संकेत देखे जाने लगे हैं। साढे तीन वर्षों की आधी सजावधि पूरी होने के आधार पर लालू को एक मामले में जमानत मिलने से अन्य दो मामलों में भी इसी आधार पर जमानत मिलने की उम्मीदें बढ़ गईं हैँ।

बाहर आने की उम्मीद बढ़ी, गरमायी सियासत

फिलहाल एक मामले में जमानत मिलने के बाद लालू जेल से बाहर नहीं आयेंग। इसी मामले में सीबीआई सजावधि बढाने की मांग को लेकर अपील में गयी है। डोरंडा कोषागार से संबंधित चारा घोटाला के मामले में भी अगले माह फैसला आने की उम्मीद की जा रही है। अगले वर्ष होने वाले विधानससभा चुनाव के पहले लालू के रांची की जेल से जमानत पर छूटकर बाहर आने पर महागठबंधन को कामयाबी मिलने की भी उम्मीदें तेज हो गयी हैँ।

राबड़ी से मिले मांझी, गतिविधियां हुईं तेज

उधर इस घटनाक्रम के बाद महागठबंधन के नेताओं में लालू को जमानत मिलने की खुशी के साथ एक—दूसरे से मिलने—जुलने का सिलसिला भी तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शुक्रवार की शाम राजद उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी से उनके आवास पर जाकर शिष्टाचार भेंट की और लालू को मिली जमानत पर खुशी जाहिर की।
लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त से महागठबंधन के नेताओं में मायूसी छायी है। दबी जुवान से तेजस्वी को नेता पद से हटाने के स्वर सुनाई देने के साथ विधायकों के टूटने की भी अटकलें लग रही थी। चुनाव नतीजा आने के बाद राजद विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने मुखर होकर तेजस्वी का विरोध करने के साथ राजद संगठन की बागडोर लालू परिवार से बाहर के व्यक्ति को सौंपने तक की मांग कर दी। हालांकि अन्य कोई विधायक या नेता ने उनका खुलकर समर्थन नहीं किया। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हालांकि तेजस्वी को ही मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लडने का निर्णय हुआ।

राजद में छंटने लगे निराशा के बादल

एक माह तक लालू के छोटे वेटे एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के बिहार से ओझल रहने और मॉनसून सत्र की कार्यवाही से दूर रहने के कारण एक ओर राजद में निराशा छाया है, वहीं महागठबंधन में फूट पडने के साथ कांग्रेस एवं हम और रालोसपा की अलग.अलग राह होने के भी संकेत मिल रहे थे। मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में चमकी बुखार से 200 से अधिक मासूमों की मौत को लेकर विपक्ष अपनी भूमिका निभाने में भी पीछे रहा। उधर देर से सही, केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से चमकी पर पहल हुई, परंतु विपक्ष इसको लेकर सरकार को धेरने में नाकाम दिखा। इस मुद्दे पर विधानभा में हालांकि विपक्ष काम रोको प्रस्ताव लाकर विशेष बहस कराने में कामयाब हुआ। लेकिन जबाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारी पड़े। इसी मुद्दे पर विपक्ष नीतीश कुमार के प्रति नरम दिखने के साथ स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय से इस्तीफे की मांग को लेकर लगातार विरोध कर रहा है।

अरुण कुमार पांडेय