क्यों होता है सावन में ठाकुर का विशेष श्रृंगार?

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22 अगस्त यानी कल बुधवार से कान्हा—नगरी मथुरा के विख्यात दानघाटी मंदिर में शुरू होने वाले घटा महोत्सव में भगवान गोवर्धन की मनोहारी झांकियां श्रद्धालुओं काे प्रेम रस में डुबोने को तैयार हैं। यह महोत्सव रक्षाबंधन तक चलेगा।दानघाटी मंदिर के रामेश्वर पुरोहित ने कहा कि एकादशी से रक्षाबंधन के बीच पांच दिनो में गोवर्धन महाराज के श्रृंगार हेतु अलग—अलग घटाएं सजाई जाएंगी। गिरिराजजी के साथ मंदिर परिसर भी एक ही रंग में रंगा होगा। रंग विशेष के पर्दे, पोशाक, जेवरात के साथ ठोड़ी पर सजा लाल रंग का हीरा‍‍‌ प्रभु की झांकी को एकटक निहारने के लिए मजबूर कर देगा।

सावन में ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार

महोत्सव एक प्रकार से ठाकुर का सावन माह में किया जाने वाला विशेष श्रृंगार है। विभिन्न प्रकार की घटा डालकर मंदिर का वातावरण ऐसा तैयार किया जाता है जैसे मंदिर के जगमोहन में ही रंग बिरंगे बादल छा गए हों। चूंकि इन्द्र के संवर्तक मेघों की मूसलाधार वर्षा को कन्हैया ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली में सात दिन—रात धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की थी, इसलिए मंदिरों में घटा डालकर ब्रजवासी कान्हा के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। दानघाटी में पांच दिन तक पांच अलग-अलग रंग की घटाओं की झांकी तैयार की जाती है। जिस रंग की घटा होगी, ठाकुरजी उसी रंग की पोशाक और जेवरात धारण करेंगे तथा उसी रंग के अधिकांश फूल श्रृंगार में प्रयोग किये जाएंगे। स्वर्ण मुकुट के साथ मस्तक पर सजा कस्तूरी तिलक और गालों पर चंदन भी उसी रंग का होगा। प्रभु के प्रसाद में उसी रंग की वस्तुओं को वरीयता दी जाएगी, यहां तक कि दूध में भी वही रंग देकर भोग लगाया जाएगा।

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पांच दिनों तक इन रंगों की घटा डाली जाएगी

घटाओं के क्रम में 22, 23 व 25 अगस्त को क्रमश: हरी, पीली, लाल तथा 26 को सफेद घटा डाली जाएगी। 24 अगस्त को प्राकृतिक काली घटा का स्वरूप होगा जिसमें घनघोर वर्षा एवं बिजली की कड़क भी दिखाई जाएगी। बहरहाल, इस ऐतिहासिक समारोह को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता और उमंग देखा जा रहा है।

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