लोकसभा चुनाव के बाद से एक्जिट पोल बता रहे थे कि मोदी दोबारा सत्ता में आ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस व महागठबंधन के अन्य घटक इन एक्जिट पोलों को अफवाह और पक्षपात पूर्ण बता रहे थे। गुरुवार को चुनाव परिणाम के दिन दोपहर होते—होते स्पष्ट हो गया कि एक्जिट पोल अफवाह नहीं थे। अर्थात् मोदी के जीतने की गणना चुनाव विश्लेषकों ने ठीक—ठीक की थी। विपक्षी दल हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहे हैं। कांग्रेस भी। लेकिन, सवाल यहां है कि कांग्रेस हारी क्यों? इसके सही कारणों की पड़ताल होनी चाहिए।
1. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा ने मोदी सरकार के राष्ट्र सुरक्षा के विषय को सफलतापूर्वक जनता के बीच संप्रेषित किया। भाजपा जनता को कंविंस करने में सफल रही कि विकास, रोजगार से ज्यादा जरूरी देश की सुरक्षा है। इसका असर हआ कि युवा वर्ग थोड़ी देर के लिए नौकरी की समस्या भूलकर देशहित में मोदी को दोबारा मौका देना जरूरी समझा।
2. योजनाओं के कार्यान्वयन का सफल प्रचार करना भी इसमें शामिल है। जनधन, मुद्रा, आयुष्मान भारत, उज्जवला, सौभाग्य आदि योजनाओं के नाम पर जाति से परे जनसमूह को भाजपा यह समझाने में सफल रही कि मोदी सरकार ने लोगों के कल्याण के लिए काम किए हैं।
3. नरेंद्र मोदी की छवि। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपीए कार्यकाल में भ्रष्ट नेताओं से जनता तंग आ चुकी थी। एक के बाद एक घोटालों ने नागरिकों में भ्रष्टाचार को लेकर खिझ पैदा कर दी थी। मोदी सरकार इस मामले में बढ़त लेती दिखी। मोदी की ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ का लोगों पर असर हुआ।
4. ऊपर के तीन बिंदू बताते हैं कि भाजपा क्यों जीती? चौथा प्वाइंट कांग्रेस की हार के बारे में है। मोदी की ईमानदार छवि के विरोध में राहुल गांधी का ‘चौकीदार चोर है’ वाला दांव उल्टा पड़ गया। यह निगेटिव नैरेटिव सेट करने जैसा हो गया। मोदी सरकार की कमियां गिनाने की बजाय, राहुल सिर्फ व्यक्तिगत हमले करने में रह गए। इससे मोदी के पक्ष में सहानुभूति गई।
5. एअरस्ट्राइक पर सवाल उठाकर कांग्रेस ने वोटरों की नाराजगी मोल ले ली। मतदाताओं का बड़ा वर्ग जो रोजागार व बैंकिंग प्रणाली में बदलाव के कारण मोदी सरकार से नाराज था, वह भी कांग्रेस के इस कदम से खुश नहीं था।
6. कांग्रेस ने घोषणापत्र में आईपीसी की धारा 124—ए पर संशोाधन की बात कह कर, खुद को देशहित के मुद्दे पर बैकफुट पर कर ली। भाजपा इस विषय को लोगों के बीच भुनाने में सफल रही कि कांग्रेस आएगी, तो देशद्रोह कानून खत्म कर देगी।
7. अंतिम चरण चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के सैप पित्रोदा ने 1984 के सिख दंगे पर ‘जो हुआ सो हुआ’ बयान दे दिया। सिख बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को इससे ठोस नुकसान हुआ। सिखों से सहानुभूति व्यक्त करने में हिंदू वोटों का भी ध्रुवीकरण हुआ।
8. और अंतिम में एक महत्वपूर्ण कारण। देश के तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग ने भी कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने में योगदान दिया। जैसे जिन मुद्दों पर सही में मोदी सरकार को घेरा जा सकता था, उसे छोड़कर नकली मुद्दे सोशल मीडिया में उछाले गए। जैसे लोकतंत्र व संविधान पर खतरा है। देश में डर का माहौल है। भारत अब रहने लायक नहीं रहा। अभिव्यक्ति पर खतरा है आदि। देश की जनता समझदार है। वह असली समस्या और नकली समस्या में अंतर समझती है और अपने विवेक से जनादेश देती है।