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क्या तेजस्वी को नेता मानने से दौड़ेगी कन्हैया की ‘पॉलिटिकल गाड़ी’?

पटना : अपने रुके हुए पॉलिटिकल कैरियर के लिए ‘टुकड़े—टुकड़े’ फेम जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार अब तेजस्वी यादव की बात मानने और उन्हें नेता मानने के लिए तैयार हैं। बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव में भाकपा के टिकट पर वे एक असफल दांव आजमा चुके हैं। तब तमाम कवायद के बावजूद उनकी नेतागीरी की गाड़ी नहीं चल पाई। अब उन्होंने बिहार को बचाने के लिए महागठबंधन की जरूरत पर बल देने के बहाने तेजस्वी यादव को इसका नेता मानने की बात कबूल कर ली है।

अभी महागठबंधन सिर्फ एक तात्कालिक व्यवस्था

पटना में आज सोमवार को मीडिया से रू—ब—रू कन्हैया ने कहा कि बिहार में अभी कोई गठबंधन नहीं है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के नाम पर सिर्फ एक तात्कालिक व्यवस्था बनाई गई थी। यही कारण है कि महागठबंधन के नाम पर राज्य में वास्तव में अभी तो कोई नहीं दिखता। जब अगले वर्ष विधानसभा चुनाव नजदीक आएगा, तब फिर वास्तविक महागठबंधन की तरफ चीजें आगे बढ़ेंगी। इसी क्रम में कन्हैया ने कहा कि हमारे लिए तेजस्वी यादव या किसी व्यक्ति को नेता मानने को लेकर कोई समस्या नहीं है।

कश्मीर से धारा 370 हटाने का किया विरोध

लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद द्वारा बेगूसराय में उनकी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करने के सवाल पर कन्हैया ने कहा कि राजनीति में यह सब चलता रहता है। बावजूद इसके तेजस्वी के प्रति मन में कोई दुर्भावना नहीं है।
पटना में कन्हैया कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर आयोजित एक सेमिनार में भाग लेने पहुंचे थे। इसमें उन्होंने कहा कि आज सत्ता में बैठे लोग देश के संघीय ढांचे को तोडऩे—जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। धारा 370 का हटाया जाना उनके इसी प्रयास का प्रकटीकरण है। प्रचार-प्रसार माध्यमों के जरिए आज इंसान की सोच को भी रद्दी का ढेर बना दिया गया है। ऐसे में विपक्ष को एकजुट होना ही होगा और इसके लिए सबको त्याग करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।