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क्या शॉटगन बचा पाएंगे अपनी सीट? ये है असल कारण  

पटना : लोकसभा चुनाव बिहार की कुछ परंपरागत सीटों को बचाने की अग्निपरीक्षा है, पटना जिले की दोनों ही लोकसभा सीट पटना साहिब और पाटलिपुत्रा पर भाजपा की साख दांव पर है।  मुकाबला भाजपा के ‘शत्रु’ जो अब कांग्रेस के टिकट से चुनावी मुकाबले में हैं, उनके और एनडीए प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के बीच है।

पटना साहिब सीट पर कायस्थ मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, दोनों ही उम्मीदवार इस खांचें पर ही उतारे गए हैं। दरअसल, बॉलीवुड के ‘शॉटगन’ शत्रुघ्न सिन्हा 2009 और 2014 में भाजपा की और से इस सीट से सांसद चुने गए थे। पर जल्द ही पार्टी से उनका बागीपन जगजाहिर हो गया और राजद से उनकी नजदीकियां लगातार बढ़ती रही। 2014 के 16वीं लोकसभा में बिहारी बाबू ने बिहार की गरिमा बढ़ने जैसा कुछ नहीं किया, उल्टे बिहार के सबसे फिसड्डी सांसद रहे। शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से सांसद रहते हुए सदन के सत्र के दौरान सिर्फ 67 प्रतिशत की मौजूदगी ही दर्ज करा पाए है। इसके अलावा उन्होंने सांसदीय अधिकारों का इस्तेमाल भी कुछ खास नहीं किया और न तो किसी डिबेट में हिस्सा लिया न ही कोई सवाल पूछे। संसदीय क्षेत्र में भी शत्रुघ्न सिन्हा का रिकॉर्ड कुछ खास संतुष्ट करने लायक नहीं। क्षेत्र भ्रमण और संसदीय संपर्क जैसे मुद्दों पर भी बिहारी बाबू लोगों के जेहन में उतर नहीं पाए।

वहीं पटना साहिब सीट से उतरे एनडीए उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद जो वर्तमान सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं, वो पहली बार चुनावी अखाड़े में हाथ आजमाएंगे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी खुद पटना साहिब क्षेत्र से हैं और भाजपा के ट्रम्प कार्ड के रूप में उतरे हैं। इससे पहले रविशंकर प्रसाद ने  बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के लक्ष्मणपुरा गाँव को आदर्श ग्राम बनाने के लिए गोद लिया था। वहां लोगों से बातचीत करने के बाद पता चला कि गाँव में सड़क, बिजली और खेतिहर किसानों के लिए जरूरी चीजें सुलभ हो पाई हैं।

इससे पहले पटना साहिब लोकसभा सीट पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य नेताओं ने रोड शो कर शक्ति प्रदर्शन कर दिया है। आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी पटना के प्रेमचंद रंगशाला से कदमकुआं के सीडीए  भवन तक रोड शो कर महागठबंधन का शक्ति प्रदर्शन करेंगे। शत्रुघ्न सिन्हा हालाँकि महागठबंधन उम्मीदवार हैं पर कांग्रेस के टिकट पर लगातार विवाद झेल रहे शॉटगन क्या 2004 में अस्तित्व में आने का बाद से ही भाजपा की परंपरागत सीट पर सेंध मार पाने में सफल होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

सत्यम दुबे