क्या आउट हो गए कुशवाहा? क्या है सीट बंटवारे के नए फार्मूले का सच?

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पटना : बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए घटकों के बीच सीट बंटवारे का नए फॉर्मूले को लेकर माहौल गरम है। सियासी हलकों में कहा जा रहा है कि दो नावों की सवारी करने की कोशिश में उपेंद्र कुशवाहा चारों खाने चित हो चुके हैं। माना जा रहा है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजे के बाद नए फॉर्मूले का औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा, लेकिन कुशवाहा को माइनस करके। आइए जानते हैं उन परिस्थितियों के बारे में जिन्होंने नए फॉर्मूले की बात को जन्म दिया।

दरअसल एनडीए और महागठबंधन-दोनों नावों पर सवारी करने की रणनीति पर उपेंद्र कुशवाहा काम कर रहे थे। उनकी इस रणनीति के चक्कर में उनकी विश्वसनीयता ही दांव पर लग गयी। नतीजतन उनकी पार्टी आरएलएसपी को एनडीए के सीट बंटवारे के नए फॉर्मूले में जगह नहीं मिलती दिख रही, जबकि बीजेपी और जेडीयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है।

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सूत्रों के मुताबिक बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से 17 बीजेपी, 17 जेडीयू और बाकी बची 6 सीटें रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के खाते में आ सकती हैं। इस फॉर्मूले के तहत आरएलएसपी को एनडीए में साझेदार नहीं बनाया गया है। इस फॉर्मूले को चिराग और नीतीश के बीच परसों हुए मुलाकात में बल मिला।

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया था।

इसी साल जेडीयू के एनडीए में एंट्री के बाद से कुशवाहा लगातार सहयोगी दल बीजेपी और जेडीयू नेताओं की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उपेंद्र कुशवाहा को गठबंधन में बनाए रखने की उत्सुकता दिखाई है। लेकिन जिस तरह से उपेंद्र नीतीश पर लगातार हमले कर रहे हैं, और बीजेपी की अनदेखी कर महागठबंधन के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, उससे भाजपा हाईकमान के लिए असहज स्थिति बन गई है। ऐसे में उनका एनडीए से आउट होना तय माना जा रहा है। अब यह संभावना बनी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए के बीच 17-17-6 के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ा जा सकता है, जिसमें कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को हिस्सेदारी मिलती नहीं दिख रही है।

कुशवाहा ने दिवाली से पहले बिहार के बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव से मुलाकात की थी, लेकिन सीटों पर सहमति नहीं बन सकी थी। इसके बाद उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी मिलने का वक्त मांगा था, लेकिन अभी तक उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है। वहीं, जेडीयू लगातार ये बात कह रही है कि वो एनडीए में बीजेपी और एलजेपी के साथ खुश है।

इधर तेजस्वी से पिछले दिनों मुलाकात के बाद कुशवाहा ने सोमवार को शरद यादव के साथ मुलाकात की थी। इस मुलाकात को दोनों नेताओं ने निजी बताया था। कुशवाहा ने जेडीयू पर अपने दोनों विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। साफ है कि उपेंद्र दो नावों की सवारी के चक्कर में न तो अपना घर बचा पाए, और ना वे एनडीए में अपने विश्वसनीय इमेज को ही बरकरार रख पाए। मतलब स्पष्ट है कि वे लगभग आउट हो चुके हैं। बस घोषणा बाकी है।

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