क्या मुफ्तखोरी और पीके की कमाई में बसती है ‘भारत की आत्मा’?

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पटना : दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की बंपर जीत और भाजपा की हार हुई है। इस परिणाम को केजरीवाल के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर ने भारत की आत्मा की रक्षा करने वाला बताया। इसके लिए उन्होंने ट्वीट कर दिल्ली की जनता को धन्यवाद भी दिया। अब सवाल उठता है कि क्या वाकई यह परिणाम भारत की आत्मा को प्रतिबिंबित करता है? क्या दिल्ली की जनता की मुफ्तखोरी और प्रशांत किशोर का चुनावी व्यवसाय ही भारत की आत्मा हैं?

चुनाव तो जीता पर राजस्व की भरपाई कहां से

अब यह साफ हो चुका है कि दिल्ली में AAP की बंपर जीत होने जा रही है। दिल्ली की जनता ने मुफ्त बिजली, मुफ्त मोट्रो सफर और मुफ्ता पानी देने के लिए केजरीवाल को भारी समर्थन दिया। वहीं लगे हाथ प्रशांत किशोर ने भी इस बहती गंगा में हाथ धोते हुए अपनी कंपनी के लिए करोड़ों कमा लिये। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि क्या यह ट्रेंड सही है? इसके लिए राजस्व की भरपाई जनता के किस मद से काट कर की जाएगी? स्पष्ट है कि इस मुफ्तखोरी की कीमत जनता को ही चुकानी होगी, चाहे अप्रत्क्ष तौर पर ही।

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लेकिन सबसे बड़ा मजाक तो यह कि इस चुनाव से करोड़ों की निजी कमाई करने वाले प्रशांत किशोर ने अनुकूल रिजल्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए न सिर्फ इसके लिए दिल्ली की जनता को धन्यवाद दिया, बल्कि ट्वीट कर इसे भारत की आत्मा की रक्षा करने वाला परिणाम करार दिया। क्या भारत की आत्मा इतनी ही बिकाऊ है कि इसे चुनावी रणनीति के माध्यम से प्रशांत किशोर सरीखा इंसान बेचकर कमाई कर ले।

विदित हो कि प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में चुनावी रणनीति बनाई थी। उन्होंने सीटों को लेकर कोई दावा तो नहीं किया था, लेकिन आम आदमी पार्टी की बंपर जीत की बात कही थी। अब सभी की निगाहें बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को ओर हैं जहां एक बार फिर प्रशांत किशोर ‘भारत की आत्मा’ की रक्षा में जुटने वाले हैं।

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