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क्या करेंगे उपेंद्र, बचे—खुचे नेता भी रालोसपा छोड़ जदयू में जाने को तैयार

पटना : लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक उठापटक के बाद अब पार्टियों में उठापटक शुरू हो गयी है। ताजा मामला रालोसपा का है। लोकसभा चुनाव में उजियारपुर व काराकाट से करारी हार के बाद रालोसपा के कई कद्दावर नेता उपेन्द्र कुशवाहा से विदा लेने लगे हैं। चुनाव पूर्व ही विवाद व टूट से घिरी पार्टी अब बिखरने के कगार पर है।
पार्टी के कई नेताओं ने कल पटना में एक गुप्त बैठक कर अलग पार्टी गठन पर विचार किया है। दर्जनों रालोसपा नेताओं ने उपेन्द्र कुशवाहा पर कई तरह के आरोप लगाते हुए रालोसपा से जदयू में गए प्रदीप मिश्रा के साथ होने का दावा किया है।
वहीं राज्य भर के कई अच्छे रालोसपा कार्यकर्ताओं ने भी जदयू में जाने की घोषणा कर दी है। उधर जदयू ने रालोसपा से आ रहे प्रत्याशियों का स्वागत किया है।
दरअसल, कुशवाहा पर वादाखिलाफी के आरोप तो हैं ही, टिकट बंटवारे में भारी धन उगाही कर टिकट बांटने के भी आरोप हैं। पार्टी नेताओं ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि मोतिहारी और बेतिया में प्रत्याशियों से उन्होंने धन की उगाही की। यही नहीं, चुनाव पूर्व जैसे ही पांच सीटों का ऐलान उनकी पार्टी के लिए हुआ, वैसे ही पहला सौदा उन्होंने पूर्व कृषि मंत्री से किया कि वहां से कमजोर प्रत्याशी उतारा जाएगा। तब वे मधुबनी के माधव आनन्द को पटा कर ले आये। कारपोरेट जगत के माधव को मोतिहारी के भूगोल तक की जानकारी नहीं थी। कायदे से उस सीट पर दावा सुभाष कुशवाहा का था, जिन्हें चम्पारण में एक सुलझे हुए नेता के रूप में जाना जाता है।
नेताओं ने बताया कि माधव से भी पहले उन्होंने प्रदीप मिश्रा को टिकट के लिए आश्वस्त कर रखा था। जब प्रदीप ने देखा कि माधव आनन्द को सुभाष कुशवाहा भूगोल-राजनीति का ज्ञान देने लगे तब उन्होंने उपेन्द्र का पत्ता खोल दिया। कहा कि- पहले ही उनसे टिकट के नाम पर कई बार विदेश यात्राएं व भारी धन राशि वसूली है। प्रमाण भी दिया। फिर, उन्होंने कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र को टिकट दे दिया। मतलब एक सीट पर चार लोगों से अलग-अलग समझौता।