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क्या है नीतीश की लालू को फिर ‘जहर पिलाने’ की रणनीति? भाजपा MLC से जानें

पटना : भाजपा एमएलसी सच्चिदानंद राय ने एकबार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए उन्हें CAA के मामले में दोहरा चरित्र रखने वाला करार दिया। श्री राय ने कहा कि सीएम की पार्टी जदयू संसद में CAA का समर्थन करती है, और विधानसभा में वही नीतीश कुमार इस मुद्दे पर ‘बहस होनी चाहिए’ वाला बयान देते हैं। यह क्या है? साफ है कि मुख्यमंत्री प्रशांत किशोर की ही भाषा बोल रहे हैं। श्री राय ने यह भी कहा कि एनडीए में नीतीश भ्रम बनाए रख लालू को फिर ‘जहर पीने’ को मजबूर करने वाली रणनीति पर चल रहे हैं।

अहम मसलों पर भाजपा विरोधी रुख मंजूर नहीं

श्री राय ने यह भी कहा कि प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता बिहार में अपने दल का सीएम देखना चाहता है, लेकिन पार्टी का निर्णय नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव में जाने की है। भाजपा के अनुशासित सिपाही के नाते पार्टी का निर्देश हम सभी के सिर माथे पर, लेकिन CAA और अहम मसलों पर किसी का भी भाजपा विरोधी रुख हम कतई स्वीकार नहीं करेंगे।

जदयू में ही दो फाड़ की बन गई है स्थिति

विदित हो कि CAA और नागरिकता कानून के प्रश्न पर जदयू में ही दो फाड़ की स्थिति है। पार्टी लाइन से अलग जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस की तारीफ कर सीएम के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। अब उन्हें न उगलते बन रहा है, न निगलते। प्रशांत किशोर जदयू में नीतीश के लिए मजबूरी और लाचारी दोनों बन गए हैं। ऐसे में कल सोमवार को बिहार विधानसभा के एकदिनी सत्र में मुख्यमंत्री को मजबूरी में CAA पर फिर से बहस करने वाली बात करनी ही पड़ गई।

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नीतीश की दो गेंद हवा में रखने की चालबाजी

नीतीश के इस कदम ने एनडीए में फिर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। पॉलिटिकल विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार एकबार फिर अपने को ‘विपक्ष यानी राजद की राजनीतिक मजबूरी’ बनाना चाहते हैं। उनकी मंशा लालू को फिर से जहर पीने की मजबूरी में डालने की है। इसके लिए ही उन्होंने प्रशांत किशोर को लगा रखा है। दूसरी ओर वे एनडीए में भी अपने पत्ते पूरी तरह क्लोज नहीं करना चाहते क्योंकि लालू भी मंझे हुए खिलाड़ी हैं। लालू नीतीश की रग—राग से वाकिफ हैं। ऐसे में बिहार की सत्ता की लड़ाई को क्लाइमेक्स पर पहुंचाने के बाद ही वे अपने पत्ते खोलने की रणनीति पर वे अग्रसर हैं।

जातिगत जनगणना भी महज बोटबैंक का जरिया

बहरहाल सच्चिदानंद राय ने सीएम नीतीश के जातिगत जनगणना वाले बयान पर भी घेरते हुए कहा कि जातिगत जनगणना में यह भी हो कि कौन सी जाति कितने बच्चे पैदा करते हैं? उनका ग्रोथ रेट क्या रहा है? क्या ग्रोथ रेट के हिसाब से वे टैक्स देते हैं? एक जाति टैक्स दे और दूसरी केवल फ़्री में खाए यह असंतुलन हो जाएगा?

उन्होंने कहा कि इसके संतुलन के लिए क़ानून बने कि जो जाति जितना टैक्स देती है उतना उसका लाभ उठाएगी। दरअसल इसकी मांग भी केवल वोट के लिए हो रही है। इसका भी समाधान जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू करने में ही संभव है।