पटना/मुजफ्फरपुर : चमकी या दिमागी बुखार से छटपटा रहे बिहार के गरीबों की पीड़ा का फायदा हर कोई उठाना चाह रहा। पहले नेता, फिर मीडिया और अब सिने स्टार। सभी अपना मकसद हल करने में जुटे हैं। ऐसे में मोर्चे पर असल लड़ाई लड़ने वाले योद्धाओं, जैसे—डाक्टरों, नर्सों और पुलिस प्रशासन को पीड़ित मरीजों तक इलाज मुहैया कराने में भारी दिक्कत हो रही है। आज गुरुवार को राजनीति में आने के लिए छटपटा रहे भोजपुरी सिने स्टार खेसारी लाल यादव बच्चों का हाल जानने मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल पहुंच गए। वहां उनके पहुंचते ही मरीजों की फिक्र गायब हो गई और लोग उनके ग्लैमर में इतने दीवाने हो गए कि पुलिस और डाक्टरों को मरीजों को छोड़ भीड़ कंट्रोल करने में ही सारी ऊर्जा खर्च करनी पड़ गई।
एसकेएमसीएच पहुंचा सुपर स्टार, बेकाबू हुई भीड़
दिमागी बुखार से बच्चों की मौत के बीच भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव जैसे ही बच्चों को देखने और उनके परिजनों से मिलने मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंचे, उनके फैन्स की नजर उन पर जा पड़ी। शीघ्र ही भारी भीड़ जुट गई। इसे देख पुलिस ने गेट बंद कर दिया। मीडियाकर्मियों की इंट्री पर भी रोक लगा दी गई। लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई और जहां बच्चों का शांतिपूर्ण इलाज होना चाहिए था, वहां समूचा प्रशासन भीड़ नियंत्रण के लिए जूझने को मजबूर हो गया। सिटी एसपी भी वहां पहुंचे। विधि-व्यवस्था बनाए रखने में एसपी को भी पसीने छूटने लगे।
किसी को टीआरपी, तो किसी को राजनीति से मतलब
साफ है कि जहां बिहार में दिमागी बुखार से हर दिन बच्चे मारे जा रहे हैं, वहीं मीडिया अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए तो नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच का रुख कर रहे हैं। 150 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। लेकिन हर दिन नए—नए एंकर इमरजेंसी में घुस आ रहे हैं और सीधे डाक्टरों से सवाल पूछने और अपनी स्टोरी बनाने में मशगुल हो जाते हैं। उन्हें तनिक भी भान नहीं कि इस दौरान बच्चों के इलाज में भारी बाधा उत्पन्न हो रही है। अकेले मुज्फ्फुरपुर में 115 से अधिक बच्चों की मौत हुई है। यही हाल नेताओं—अभिनेताओं का भी है। इनके अस्पताल पहुंचने के कारण एक तो सारा प्रशासन इनके पीछे लगाना पड़ता है, वहीं मरीजों और परिजनों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।